पूजा ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था, "यह एक आधारहीन मामला है। आज के दौर में जब हमें बराबरी के बारे में बात करनी चाहिए, तब हम अति-संवेदनशीलता दिखा रहे हैं। जब हम शाहरुख और ऋतिक के सिक्स-पैक ऐब्स देखते हैं, तब तो हमें कोई समस्या नहीं होती, बल्कि हम उनकी तारीफ ही करते हैं। तो फिर औरत के मामले में हमारा रवैया अलग क्यूं है?"
पूजा ने कहा कि जब आप एक पब्लिक फिगर होते हैं, तो किसी भी मीडिया इवेंट में आपकी नेल पॉलिश से लेकर आपके फुट वियर तक पर कैमरा की नजर रहती है। और आपको इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर किसी भी औरत के असेट्स पर फोकस करना और उनकी तारीफ करना अपराध है तो सारे आइटम नंबर्स को भी बैन कर देना चाहिए। यह कहना कहां तक सही है कि पब्लिक अपियरेंस में मैं कपड़े ऐसे ही पहनूंगी, लेकिन आपको दूसरी नजर से देखना होगा? अपने घर में भी आप कपडे़ पहनते वक्त आप इस बात का खयाल रखते हो कि उन कपड़ों पर आपकी फैमिली, ससुराल वालों, पति और यहां तक कि आपके पड़ोसी का क्या रिऐक्शन होगा।
एक सिलेब्रिटी की यह जिम्मेदारी है कि वह कैमरे के सामने जाने से पहले यह तय कर ले कि उसे क्या दिखाना है, क्या नहीं, और यह बेवकूफी ही है कि महिला अधिकारों की बात करते हुए आप यह सवाल उठाएं कि जो मैं दिखा रही थीं, उस पर आपकी नजर क्यों गई? हम हर चीज पर अपने नजरिए से रिऐक्ट करते हैं, और हमारा नजरिया तो हमारे लिए सही ही होता है, लेकिन हमें सिक्के के दूसरे पहलू पर भी ध्यान देना चाहिए।
वहीं अब दीपिका ने भी पूजा की इस टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए फेसबुक पेज पर लिखा है, "एक महिला यौन संबंध चाहती है, इसका सिर्फ एक ही संकेत है और वह है उसका 'हाँ' कहना।"
मैंने ये लाइन इसलिए लिखी है क्योंकि, हम सभी को इस बात की जानकारी है कि भारत में हम बेहद जोरदार तरीके से हमारे समाज के वर्गों में बदलाव लाने में जुटे हैं, और ऐसा हम देश को असमानता, बलात्कार, डर और दर्द से रहित एक खुशनुमा समाज बनाने के लिए कर रहे हैं।
मैं अपने प्रोफेशन के मामले में अनुभवहीन नही हूँ। मेरा काम बहुत डिमांडिंग है जो मुझसे बहुत कुछ करवाना चाहता है। किसी रोल की मांग हो सकती है कि मैं सिर से पैर तक ढ़की रहूं या पूरी तरह नग्न हो जाऊं और तब एक अभिनेत्री के तौर पर यह मेरा निर्णय होगा कि मैं यह करना चाहती हूँ या नहीं। यह फर्क समझना होगा कि रील और रियल में अंतर होता है और मेरा काम मुझे दिए गए किरदार को जोरदार तरीके से निभाना है।"
"जहाँ तक मेरा सवाल है, मैं साफ तौर पर लिख रही हूं ताकि इसे शहरुख के 8 पैक्स और किसी औरत की शरीर की बनावट के साथ ना लपेटा जाए। मैंने एक ऐसी पीछे धकेलने वाली विचारधारा के खिलाफ आवाज उठाई है, जिसमें एक और तो महिलाओं की समानता और सशक्तिकरण के लिए प्रयास किये जा रहे हैं, और दूसरी और इसका सहारा लोगों का ध्यान खींचने के लिए किया जा रहा है। एक ऐसे वक्त में जब औरतें मर्दों के वर्चस्व वाले समाज में जगह बना रही हैं और जिसके लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए, हम असल जिंदगी और सिनेमा के बीच की लक्ष्मण रेखा को मिटा रहे हैं और एक साल पुरानी बात को ख़बर की तरह पेश करके अपनी सारी कोशिशें खराब कर रहे हैं। एक पुरानी ख़बर निकलकर उसकी हेडलाइन 'ओएमजी: दीपिका क्लिवेज शो' जैसी पिछड़ी सोच को बढ़ावा देकर ताक़त का गलत इस्तेमाल करना है।"
जब एक अभिनेत्री का अंतर्वस्त्र प्रदर्शित दिख जाता है, तो जाहिर सी बात है कि उसने ऐसा जानबूझकर नहीं किया। इसलिए इसे जूमिंग करने के, गोल घेरे में निशान से दिखाने के बजाय हम एक महिला को इज्जत देते हुए इसकी हैडलाइन बनाने के बजाय छोड़ क्यों नहीं देते। क्या हम मनुष्य नहीं हैं। हाँ हम फिल्म में एक पुरुष अभिनेता के 8 पैक्स एब्स पर अचरज करते हैं, द्वेष करते हैं और ललचाते हैं, लेकिन क्या हम उनके शारीरिक अंगो पर कैमरा जूमिंग करते हैं, इसे पब्लिक में उछालते हैं और हैडलाइन बनाते हैं।
मुझे मेरे शरीर से कोई परेशानी नहीं है, और ना ही कभी ऑनस्क्रीन मेरे चरित्र को निभाने में शर्म महसूस की है। यहाँ तक कि मेरा अगला किरदार एक बार डांसर का है, (फरहा इस खुलासे के लिए माफ़ करना), जो जीविका चलाने के लिए पुरुषों को उकसाता है। मेरा मुद्दा फ़िल्मी किरदार से नहीं बल्कि वास्तविक इंसानों की अनुचित तरीके से फोटोग्राफी किया जाना है। अगर आपको मेरे चरित्र से कोई समस्या है, और यह बात करने का मुद्दा है तो आप उसके बारे में चर्चा कीजिये। मैं जो कुछ भी कह रही हूँ वह सिर्फ ऑफ़ स्क्रीन एक महिला के सम्मान का मामला है।
यह, महिला या पुरुष के व्यक्तिगत अंगो के बारे में नहीं है। यह उस मुद्दो के बारे में है जिन्हें बेचने के लिए हैडलाइन बनाया जाता है। यह महिलाओं के प्रति एक समय पर सोच को बदलने का मामला है।
मेरे लिए यह मुद्दा यहीं पर खत्म हो जाता है। हर कोई राय देने का हकदार है। मेरी रूचि इसे और आगे ले जाना है ताकि इसे और ज्यादा तवज्जो मिले, क्योंकि हक़दार है, और हो सकता है कि इसे आगे और गलत तरीके से घुमाकर बिना वजह की सुर्खियां बनाकर बेचा जा सके।
मैं कहना चाहती हूँ कि काश हम एक दूसरे के लिए प्यार, गरिमा और सम्मान दिखा सकें।
अच्छे से जियो, हँसते रहो, और प्रेम बांटो।