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फिल्म में कपिल देव की भूमिका पर बोले रणदीप हुड्डा

फिल्म में कपिल देव की भूमिका पर बोले रणदीप हुड्डा
चर्चा है कि रणदीप हुड्डा, संजय पूरन सिंह चौहान की फिल्म में कपिल देव का किरदार निभाएंगे। यह फिल्म 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम द्वारा जीते गए मैच पर आधारित होगी।

वहीं अगर खबर की पुष्टि होने की बात करें तो जब रणदीप हुड्डा से इस बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने उल्टा सवाल पूछते हुए कहा कि मैं बस इतना पूछना चाहता हूँ कि यह खबर आपको मिली कहाँ से?

वहीं निर्देशक से इस बारे में बात नहीं हो पाई है। लेकिन सूत्रों का कहना है कि अभिनेता 2009 में 'लाहौर' फिल्म का निर्देशन करने वाले चौहान की यह फिल्म करने के बेहद इच्छुक हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए फिल्म निर्माता काफी खोज बीन करते आ रहे हैं, और 1983 की उस ऐतिहासिक जीत में अगुवाई करने वाले कपिल देव के बारे में जानकारियां इकट्ठी करने में जुटे हैं। साथ ही रणदीप भी खेलों के प्रति काफी रूचि रखते हैं, और एक अभिनेता होने के बावजूद भी वह खेलों से जुड़े हैं, यहांतक कि उनकी अपनी पोलो टीम भी है, लेकिन वह किसी भी स्पोर्ट्स लीग से जुड़े हुए नहीं है, क्योंकि उनका मनना है कि वह इसके जरिये पब्लिसिटी नहीं पाना चाहते।"

रणदीप कहते हैं, "अभिनेता ऐसे कई खेलों को प्रोमोट कर रहे हैं, जिनमें उन्होंने पैसा नहीं लगाया है। उन्होंने सिर्फ टीम के साथ अपना नाम जोड़ा है। यहां तक कि वे यह स्पोर्ट खुद खेलते भी नहीं हैं। मेरी अपनी खुद की टीम है, मैं खेलता हूँ।"

साथ ही रणदीप हुड्डा अपनी आगामी फिल्म का भी इन्तजार कर रहे हैं। रणदीप कहते हैं, "उन्होंने यह फिल्म इसलिए स्वीकार की क्योंकि उन्हें केतन मेहता का काम बेहद पसंद है। जिनकी दो फ़िल्में 'गुलामी' और 'मिर्च मसाला' मेरी हमेशा से ही पसंदीदा फ़िल्में रही हैं। वे बेहद वास्तविक और सन्देश देने वाली फ़िल्में थी। 'शोले' भी जाहिर तौर काफी लोगों की पसंद हैं, लेकिन इसकी कितनी ही फिल्मों द्वारा कॉपी की गई है।"

हुड्डा अपनी आगामी इस फिल्म में 19वीं सदी के एक विवादित चित्रकार राजा रवि वर्मा की भूमका निभा रहे हैं। रणदीप कला के क्षेत्र में अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति की वकालत करते हुए कहते हैं, "सेंसरशिप एक व्यक्तिपरक अवधारणा है। राजा रवि वर्मा पर उनके मरने के बाद बेहूदेपन का आरोप लगा था। 2000 में एमएफ हुसैन को देश को छोड़ने के लिए सिर्फ इसलिए कहा गया था क्योंकि उन्होंने हिन्दू देवी की अर्धनग्न तस्वीर बनाई थी। लोगों का सवाल था कि एक मुस्लिम होने के नाते उन्होंने एक हिन्दू भगवान की तस्वीर क्यों बनाई, अलाह की क्यों नहीं? लेकिन मुस्लिम भगवान का ना तो कोई चेहरा होता है और ना ही आकार। यह सिर्फ एक राजनैतिक खेल था। किसी भी कलाकार पर पत्थर फेंकना, अपनी तरफ ध्यान खींचने का सबसे अचूक तरीका होता है।"

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