निर्देशन: अभिषेक शर्मा
रेटिंग:**
अभिषेक शर्मा द्वारा निर्देशित 'द शौक़ीनस',1982 में आई बासु चटर्जी की फिल्म 'शौकीन' का रीमेक है, लेकिन वास्तव में यह सिर्फ फिल्म को प्रस्तुत करने के लिए ही है, वास्तव में ऐसा नहीं है। इस का उस फिल्म से कोई मुकाबला नहीं है।
'द शौक़ीनस' तीन उम्रदराज ठर्की बुजुर्गो की कहानी है, जो अभी तक अपने आप को युवा ही समझते हैं, और हर आती-जाती लड़की को देख कर सपने देखने शुरू कर देते हैं। ये तीन बुजुर्ग हैं लाली (अनुपम खेर), पिंकी (पीयूष मिश्रा) और केडी (अन्नू कपूर) जो एक जैसी आदत से परेशान तीन दोस्त हैं, और दिल्ली में लेडीज़ सैंडल की दुकानदारी के पीछे अपनी आंख्ने सेकने का काम करते है। लड़कियों को पटाने के लिए उनका पीछा करते हैं, और जाहिर तौर पर विफल होते हैं, लेकिन अक्ल नहीं आती। जब इनकी दाल दिल्ली में नहीं गलती तो योजना बनाते हैं, और घरवालों को बिजनेस ट्रिप बताकर पहुंच जाते हैं मॉरिशस। वहां इनका पाला पड़ता है एक फैशन डिजाइनर अहाना (लिसा हेडन) से, जिसके घर में किराये पर रहने जाते हैं, और साथ ही इन्हें एक नया मकसद भी मिल जाता है, लिसा को पटाने का।
जिसकी जुगत में ये तीनों अपने-अपने तरीके से लग जाते हैं। जब इन्हें पता चलता है कि अहाना स्टार अक्षय कुमार की बड़ी फैन है तो, तीनों के सामने चुनौती आ जाती है अहाना को अक्षय से मिलवाकर उसकी नजर में हीरो बनने की, और इसी जुगत में जुट जाते हैं।
अभिनय की बात करें तो फिल्म पूरी तरह से अनुपम खेर, अन्नू कपूर और पीयूष शर्मा के अभिनय पर निर्भर है। अक्षय कुमार फिल्म में सिर्फ कैमियो में हैं, और लिसा हैडन एक ग्लैमर्स डॉल। फिल्म में अगर थोड़ा-बहुत कुछ देखने लायक है तो वह है फिल्म के तीनों ठर्कीयों की केमेस्ट्री और उनका अभिनय। अनुपम खेर, अन्नू कपूर और पीयूष शर्मा तीनों ने शरारती बुजुर्गो के किरदारों को बखूबी पर्दे पर उतारा है। खासकर अन्नू कपूर का पंजाबी लहजा और उनकी हरकतें देखने वाली हैं।
फिल्म का निर्देशन कमजोर है, और संगीत उस से भी ज्यादा कमजोर है।