विशाल ने शनिवार को फिल्म बाजार में 'सिनेमा समाज में बदलाव लाने का माध्यम' सत्र के दौरान कहा, "हम कथावाचक हैं। फिल्मकार जीवन में जो कुछ घटित होता है, उसको बयां करते हैं। हम जो अनुभव करते हैं, उसी को बयां करते हैं। फिल्मों पर विचार-विमर्श किया जा सकता है, लेकिन हम समाज में बदलाव नहीं ला सकते, क्योंकि समाज अलग-अलग लोगों ने मिलकर बनाया है।"
उन्होंने कहा कि लेकिन हमें देश में हिंसा को जन्म नहीं देना चाहिए। विशाल ने कहा, "हम इतने असहिष्णु क्यों हैं? इसकी वजह समाज का शिक्षित न होना है। उचित शिक्षा दी जानी चाहिए और उन्हें समझना चाहिए कि जब एक फिल्म रिलीज हो रही हो, तो वे अराजकता न फैलाएं।"