सलमान के वकील श्रीकांत शिवड़े ने अभियोजन के गवाह डा. शशिकांत पवार से जिरह की जो उस समय यहां सरकारी जे जे अस्पताल में थे।
28 सितम्बर 2002 की रात को सलमान की कार से हुई दुर्घटना के बाद उन्हें चिकित्सकीय परीक्षण के लिए जे जे अस्पताल ले जाया गया। जिसके आगे की कार्यवाही की जानकारी देते हुए पवार ने अदालत को बताया कि चिकित्सकों ने सलमान के रक्त का नमूना एकत्रित किया और उसे प्रयोगशाला में भेजने से पहले दो शीशियों में डाला। वहीं इसके विपरीत वकील शिवडे का कहना था कि रसायनिक विश्लेषक ने उन्हें यह बताया है कि उसे केवल एक ही शीशी मिली थी।
वहीं सिविल मेडिकल कोड के अनुसार रक्त जाँच के लिए पांच मिलीलीटर रक्त निकालना होता है लेकिन चिकित्सकों ने कहा कि उसने प्रत्येक नमूने के लिए केवल तीन मिलीलीटर रक्त निकाला था।
इस मामले में अभी तक 21 गवाहों से जिरह हो चुकी वहीं पांच-छह गवाह अभी भी बाकी हैं और अगर इस मामले में सलमान गैर इरादतन हत्या के दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें अधिकतम 10 वर्ष की सजा हो सकती है।