बॉलीवुड में डेढ़ दशक बिताने के बाद भी अभिषेक के नाम हिट से ज्यादा फ्लाप फिल्में हैं। दूसरी ओर, करीना अपने दम पर एक दर्जन से अधिक हिट फिल्में दे चुकी हैं।
अमिताभ बच्चन और जया बच्चन जैसे दिग्गजों की संतान होने के कारण निसंदेह अभिषेक पर खुद को साबित करने का दबाव शुरुआत से ही था लेकिन वह इसमें आंशिक तौर पर ही सफल हो सके हैं। अभिषेक बच्चन का जन्म पांच फरवरी 1976 में मुंबई में हुआ।
फिल्मी कलाकारों की संतानों की बात करें तो कई ऐसे भी नाम गिनाए जा सकते हैं जो काफी फ्लॉप रहे हैं लेकिन संजय दत्त, करीना, करिश्मा कपूर, शाहिद कपूर, सन्नी देओल जैसे कुछ ऐसे नाम भी हैं, जिन्होंने अपने परिवार की अभिनय विरासत को आगे बढ़ाया और काफी हद तक उसे समृद्ध भी किया।
फिल्म 'रिफ्यूजी' से अभिषेक चर्चा में थे लेकिन उस फिल्म में अच्छे अभिनय का सारा श्रेय करीना बटोर ले गईं। इसके बाद अभिषेक के हिस्से 'तेरा जादू चल गया', 'ढाई अक्षर प्रेम के', 'बस इतना सा ख्वाब है', 'हां मैंने भी प्यार किया है' जैसी कई फ्लॉप फिल्में आईं।
वर्ष 2004 उनके करियर के लिए अहम साबित हुआ, जब यश राज बैनर्स की फिल्म 'धूम' में उन्हें एक पुलिस अधिकारी की भूमिका में पसंद किया गया और फिर मणिरत्नम की फिल्म 'युवा' के अक्खड़ युवक को भी लोगों ने पसंद किया, जिसका जिंदगी जीने का अपना अलग तरीका था।
अगले दो साल भी अभिषेक के लिए अच्छे रहे। 'बंटी और बबली' (2005) में रानी मुखर्जी के साथ उनकी जोड़ी को लोगों ने खूब सराहा और फिर ठाकरे परिवार पर केंद्रित 'सरकार' (2005) में अपने पिता के साथ काम करते हुए अभिषेक ने गंभीर अदाकारी का लोहा मनवाया।
इसके बाद अभिषेक 'कभी अलविदा ना कहना' (2006), 'गुरु' (2007) जैसी व्यावसायिक रूप से सफल फिल्मों में नजर आए और इन्हें पसंद भी किया गया। 'गुरु' में अभिषेक के साथ उनकी पत्नी और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय ने भी काम किया।
अभिषेक ने वर्ष 2009 में सुनील मनचंदा के साथ मिलकर 'पा' फिल्म बनाई। इसे जबर्दस्त सफलता मिली। इसे राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला। फिल्म की खास बात यह रही कि इसमें अभिषेक, पिता व उनके पिता अमिताभ ने उनके बेटे की भूमिका निभाई।
अभिषेक ने 2012 में रोहित शेट्टी की फिल्म 'बोल बच्चन' की जिसमे उनके किरदार को काफी पसंद किया गया। हास्य आधारित यह फिल्म काफी सफल रही।
'रिफ्यूजी' के साथ फिल्मी करियर शुरू करने वाली दो फिल्मी संतानों-करीना और अभिषेक ने बॉलीवुड में अलग-अलग मुकाम हासिल किया है। एक तरफ जहां करीना आज की टॉप अभिनेत्री हैं वहीं अभिषेक की गिनती शीर्ष-4 अभिनेताओं में नहीं होती।
हिट से ज्यादा फ्लॉप फिल्में :
अभिषेक की 'तेरा जादू चल गया', 'ढाई अक्षर प्रेम के', 'बस इतना सा ख्वाब है', 'हां मैंने भी प्यार किया है', 'शरारत', 'मैं प्रेम की दीवानी हूं', 'मुंबई से आया मेरा दोस्त', 'कुछ ना कहो', 'जमीन', 'रन', 'फिर मिलेंगे', 'नाच', 'दस', 'लागा चुनरी में दाग', 'झूम बराबर झूम', 'द्रोणा', 'रावण', 'खेले हम जी जान से' व अन्य फिल्में बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी।
मुख्य भूमिका से अतिथि भूमिका पर पहुंचे :
अभिषेक के करियर का एक अजीबोगरीब पहलू उनका करियर की शुरुआत में ही अतिथि भूमिकाओं में नजर आना है। वह 'हम तुम' (2004), 'रक्त' (2004), 'सलाम नमस्ते' (2005), 'होम डिलीवरी: आपको घर तक' (2005), 'एक अजनबी' (2005), 'नील एंड निकी' (2005), 'अलग' (2006), 'शूटआउट एट लोखंडवाला' (2007), 'मिशन इस्तांबुल' (2008) व 'लक बाय चांस' (2009) सहित कई फिल्मों में अतिथि भूमिका में दिखे।
'ढाई अक्षर..' ने बदली जिंदगी :
अभिषेक की अपनी जीवन साथी ऐश्वर्या राय बच्चन से पहली मुलाकात राज कंवर निर्देशित फिल्म 'ढाई अक्षर प्रेम के' के सेट पर हुई। हालांकि, उस दौरान अभिषेक कथित रूप से अभिनेत्री करिश्मा कपूर जबकि ऐश्वर्या बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को डेट कर रही थीं। लेकिन किस्मत पलटी और दोनों एक बार फिर रोहन सिप्पी की फिल्म 'कुछ ना कहो' में साथ नजर आए। इस दौरान अभिषेक व ऐश्वर्या अच्छे दोस्त बन गए। इसके बाद उन्होंने लगातार तीन फिल्मों- 'उमराव जान', 'धूम 2' व 'गुरु' में साथ काम किया। यही वह समय था, जब दोनों एक-दूसरे के करीब आए। 20 अप्रैल, 2007 को दोनों परिणय सूत्र में बंध गए। उन्हें बेटी आराध्या है। पिता के नक्शे कदम पर :
अपने पिता की तरह ही अभिषेक ने भी गायकी में हाथ आजमाया। उन्होंने अपनी मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'ब्लफमास्टर' में 'एक मैं और एक तू है' गाना गाया। फिल्म बुरी तरह असफल रही, लेकिन इस गाने को काफी सराहना मिली। इसमें उनके साथ अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा थीं।
खेलों में बढ़ती रुचि :
अभिषेक बच्चन ने बीते साल प्रो कबड्डी लीग में अपनी एक टीम उतारी और उसे जयपुर पिंक पैंथर्स नाम दिया। वह खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में आगे आए हैं और उनके इस प्रयास को पिता अमिताभ ने भी सराहा है।