इम्तियाज (43) ने कहा, ''उम्मीदों के कोई मायने नहीं हैष 'रॉकस्टार' एक ऐसी फिल्म थी जिसे हमने बनाया और उसका आनंद उठाया। यह फिल्म ('तमाशा') काफी चुनौतीपूर्ण है. हमें नई चीजें मिलीं जिन्हें अभिनय, फिल्म और कविता के जरिए दिखाने की जरुरत थी।'' पटकथा लेखक-निर्देशक को आज के जमाने की प्रेम कहानियों के मर्मस्पर्शी प्रस्तुतिकरण के लिए जाना जाता है। 'जब वी मेट' के फिल्मकार ने कहा, ''मुझे लगता है कि हिंदी फिल्में किसी और चीज से ज्यादा एक खास तरह की नैतिकता को साथ लेकर चलती है, जो हमारे समाज का एक हिस्सा है।
मेरा मानना है कि भारतीय फिल्में संगीत प्रधान होती हैं और वे हमारे समाज में मौजूद नैतिक सोच पर आधारित होती हैं। इम्तियाज ने कहा, ''वास्तव में मैं अपनी फिल्मों को बनाने के दौरान और उनके बन जाने के बाद उन्हें जांचता रहता हूं कि वे अपनी नैतिक मूल्यों से कहीं भटकें नहीं क्योंकि मुङो मालूम है कि कई लोग इसे देखते हैं।" इम्तियाज ने बताया कि "अर्थपूर्ण सिनेमा" से अधिक अलग तरह की, हल्की फुल्की फिल्में उन्हें ज्यादा प्रभावित करती हैं।