स्वरा का मानना है की ब्रांड्स से नस्लवाद को बढ़ावा मिलता है जरुरी सुंदरता है नाकि रंग की या गोरेपन की विभिन्निता। स्वरा को उनके सिद्धांत यह सन्मति नहीं देते की वे किसी ऐसे ब्रांड के लिए काम करे जो नस्लवाद को बढ़ावा देता हो।
स्वरा कहती है, "गोरी ही त्वचा हो यह जरुरी नहीं है। त्वचा से पता नहीं चलता की आप सकारात्मक है या नकरात्मक , हमें खुद से प्यार होना चाहिए चाहे त्वचा कसी भी रंग की हो।"