क्लीन विज़ुअल्स


चलती-फिरती शराब की दुकान!

चलती-फिरती शराब की दुकान!

ऐसा नहीं है कि सिर्फ प्यासा ही कुँए के पास जाता है, कभी-कभी कुआँ भी प्यासे के पास आ जाता है!

ऐसी भी क्या मज़बूरी थी?

ऐसी भी क्या मज़बूरी थी?

इन भाई साहब को देख बस यही बात पूछने का मन करता है कि ऐसी भी क्या मज़बूरी थी!

गुप्तदान!

गुप्तदान!

ये कैसा गुप्तदान जो सबको बता दिया!

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