पत्नी चालीसा!
कभी तो मायके जाओ ना बीवी;
सुख का आभास कराओ ना बीवी;
साथ रह-रह कर अब पक चुके हैं;
बातें सुन-सुन कर अब थक चुके हैं;
पार्टियों मे जाने का दिल करता है;
ठंडे शावर मे नहाने का दिल करता है;
कभी तो मायके जाओ ना बीवी;
सुख का आभास कराओ ना बीवी;
सिगरेट-विगरेट और दो पैग लगाने का दिल करता है;
पुरानी कोई गर्लफ्रेंड से मिलने-मिलाने का दिल करता है;
कभी तो कुछ तरस खाओ ना बीवी;
कभी तो मायके जाओ ना बीवी;
मेरे सपने सारे सुला दिये हैं;
मेरे अपने सारे भुला दिये हैं
पुराने यार सज्जन सब छुड़ा दिये हैं;
सब रिश्ते-नाते तुड़ा दिये हैं;
मेरे ससुराल से भी रिश्ता मेरा तुडवाओ ना बीवी;
कभी तो मायके जाओ ना बीवी;
सुख का आभास कराओ ना बीवी;