जाट और बाबा!

जाट को खेत में टयूबवेल लगवाना था। सोचा कि बाबा जी से पूछ लूँ कि पानी कहाँ होगा? बाबा जी ने सारे खेत में घूम कर एक कोने में हाथ रख दिया और बोला कि यहाँ टयूबवेल लगा ले और 1100/- रु. ले लिये।

जाट बेचारा भुरभुरे स्वभाव का था। बाबा जी से बोला, "मैं बहुत खुश हूँ... आप मेरे घर खाना खाने आओ।"

बाबा ने सोचा कि फंस गई मुर्गी आज तो और हाँ कर दी।

जाट घर जा कर अपनी पत्नि से बोला, "बाबा जी जिम्मण आवेंगे पकवान बना ले और एक कटोरी में नीचे देसी घी और उपर चावल डाल दिये।"

पत्नि बोली कि घी तो उपर होता है।

जाट बोला कि आज तू घी नीचे रखिये।

बाबा जी आ गये और चावल वाली कटोरी देख कर बोले, "बेटा इस में घी तो है ही नहीं।"

जाट ने चप्पल निकाल के एक धरी बाबा के कान के नीचे और बोला, "तन्नै खेत में 250 फुट नीचे का पानी देख लिया, कटोरी में 2 इंच नीचे घी नी दिक्खया?"