आत्मविश्वास!

मनपसंद मरम्मत का काम होने की खुशी में एक साहब ने मिस्त्री को 1000/- रुपये की बख्शीश देते हुए कहा,
"जा, तू भी क्या याद करेगा! आज शाम को भाभी जी को सिनेमा ले जा और उसके बाद किसी रेस्तरां में खाना खा!"

शाम को दरवाजे की घंटी बजी!

साहब ने दरवाजा खोला तो मिस्त्री साफ-सुथरे कपडे पहने खडा था!

साहब ने उसे सिर से पैर तक देखा और पूछा, "कहिये मिस्त्री जी?"

मिस्त्री: जी वो शाम हो गई है तो भाभी जी को लेने आया हूँ! कहाँ हैं वो?"