गाँव में रात को भजन का प्रोग्राम था, शर्मा जी की बहुत इच्छा थी जाने की पर पत्नी ने मना कर दिया, "तुम रात को बहुत देर से आओगे, मैं कब तक जागूँगी?"!
ग्यारह बजे वापस आने का बोल के शर्मा जी चले गये!
भजन संध्या में ऐसे डूब गये कि समय का ध्यान ना रहा, घड़ी में एक बजे का समय देख शर्मा जी की हालत ख़राब हो गयी! चप्पल हाथ में लिए दौड़ने लगे और हर हर महादेव बोलने लगे!
भजन संध्या में आलौकिक माहौल था तो शिवजी भी वहीं थे, वो शर्मा जी की सहायता के लिये आये, "बोल भक्त क्या परेशानी है?"
शर्मा जी: आप मेरे साथ मेरे घर तक चलो, मैं दरवाज़ा खटखटाऊँ तो आप आगे आके सम्भाल लेना, मेरी बीवी आज मुझे छोड़ेगी नही।
शिवजी: वत्स तेरी पत्नी तुझे क्यों मारेगी?
शर्मा जी: प्रभु मैं बीवी को ग्यारह बजे आने का कह के आया था!
शिवजी: तो अभी कितने बजे हैं?
शर्मा जी: प्रभु डेढ़ बजे हैं!
डेढ़ सुनते ही शिवजी भी भागने लगे!
शर्मा जी: प्रभु क्या हुआ?
शिवजी दौड़ते दौड़ते बोले, "मैं ख़ुद साढ़े बारह बजे का बोल के आया था"!
पत्नी मतलब पत्नी... चाहे किसी की भी हो!