ये कैसी दोस्ती?

कल मेरा एक जिगरी यार मुझ से नाराज़ हो गया! बेतहाशा नाराज़।
गलती मेरी ही थी, वजह भी बड़ी वाजिब थी। 
बात ये हुई कि उनकी पत्नी यानी हमारी प्रिय भाभी जी दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। एक कोई हड्डी टूट गयी थी।
एक प्रसिद्ध अस्थिरोग (हड्डी रोग) विशेषज्ञ से संपर्क व परामर्श हुआ।

आपरेशन होगा ये तय हो गया।

दोस्त टेंशन में था।

मैंने पूछा खर्चा तो काफ़ी हो जाएगा ना?

हाँ... दोस्त ने सिर हिलाया।

मैंने फिर पूछा: लाखों में?

दोस्त ने फिर हाँ कहा।

बस यहीं मैं गड़बड़ कर बैठा! जब मज़ाक में दोस्त का टेंशन दूर कर के उसे हंसाने के लिए मुंह से निकल गया कि  इतने में तो दूसरी आ जाती यार।

मेरा दोस्त भड़क गया।

यार का गुस्सा होना तो बनता ही है ऐसे टेंशन वाले माहौल में!

उसने एक थप्पड़ मारा और दांत भींच के बोला, "कमीने कुत्ते...
.
.
.
.
.
.
.
अब बता रहा है जब जमा करवा दिये हैं!"