यूँ हम को सताने की ज़रूरत क्या थी; गांड मेरी जलाने की ज़रूरत क्या थी; जो नहीं था इश्क़ तो कह दिया होता;
बेवजह हमें चुतिया बनाने की ज़रुरत क्या थी;
मालूम था अगर यह ख्वाब टूट जायेगा;
नींद में आकर चुदने की ज़रुरत क्या थी;
मान लूँ अगर कि एक तरफ़ा मोहब्बत थी;
तो साली मुझे देख कर मुस्कुराने की ज़रुरत क्या थी!
गांड के साथ अक्सर यह घटना घट जाती है;
वाह! वाह!
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गांड के साथ अक्सर यह घटना घट जाती है;
मुसीबत कोसों दूर होती है बहनचोद गांड पहले फट जाती है।
तूफानों में छत्तरी नहीं खोली जाती;
ब्रा से पहले पैंटी नहीं खोली जाती;
विआग्रा (वियाग्रा) खाना शुरू कर मेरे दोस्त;
क्योंकि ज़ुबान और उंगली से औरत नहीं चोदी जाती।
श्रीमती ग़ालिब:
तुम्हें पाकर लगा दुआ हमारी कबूल हो गई;
तुम्हें पाकर लगा दुआ हमारी कबूल हो गई;
जब से देखा है आपका मुर्दा लंड;
लगता है ये बड़ी भूल हो गई।
प्यार किस्मत है कोई ख्वाब नहीं;
ये वो खेल है जिसमें सब कामयाब नहीं;
जिन्हें इश्क की पनाह मिली वो कुछ ही लोग हैं;
और;
जिनके लौड़े लग गए उनका तो हिसाब नहीं।
निप्पल से टपक रहा पसीना;
निप्पल से टपक रहा पसीना;
भीगी हुई गांड और लथपथ सीना;
अब तुम्हीं बताओ 'ग़ालिब';
इतनी गर्मी में कोई कैसे ठोके हसीना?
अर्ज़ किया है:
गांड मरवाने से किसी की मौत नहीं होती ग़ालिब;
वाह वाह;
गांड मरवाने से किसी की मौत नहीं होती ग़ालिब;
सिर्फ चलने का अंदाज़ बदल जाता है।
मिर्ज़ा ग़ालिब ने माशूका को देखा और बोला, 'सलवार के नीचे से पानी लाल आता है क्या मेरी माशूका का भोसड़ा पान खाता है।'
नहीं रही वो मोहब्बत की हक़ीकत;
आज के इस दौर में;
जिस्म की प्यास बुझाने को;
लोग 'इश्क' का नाम देते हैं।
अगर हो मर्जी से सेक्स तो पाप नहीं होता;
अगर हो कुंवारी से सेक्स तो उसका जवाब नहीं होता;
पर दोस्त कभी बिना कंडोम के मत चोदना;
क्योंकि खड़े लंड का दिमाग नहीं होता।