कला कभी खत्म नहीं होती, उसे बस त्याग दिया जाता हैं।
तीस मेरे लिए अजीब था. मुझे सच मुच इस तथ्य को मानना पड़ा कि अब मैं एक चलता-फिरता वयस्क हूँ।
मैं परवाह नहीं करता कि तुम अच्छे गणितज्ञ हो या अच्छे एथलीट या कुछ और जो तुम सोच सकते हो। पर मैं इतना बता सकता हूँ कि तुम जैसे भी हो, बहुत अच्छे हो।
पुरुष मित्रता को फ़ुटबाल की तरह चारों ओर मारते हैं, लेकिन वो टूटती नहीं है। महिलाएं इसे शीशे की तरह लेती हैं और वो टुकड़े-टुकड़े हो जाती है।
यदि आप खुद अपनी ज़िन्दगी की योजना नहीं बनाते हैं तो संभव है कि आप किसी और की योजना के अंतर्गत आ जायें और ज़रा सोचिये उन्होंने आपके लिए क्या योजना बनाई होगी? ज्यादा कुछ नहीं।
जब मैं छोटा था तब वो करता था जो मेरे पापा चाहते थे। अब मैं वो करता हूँ जो मेरा बेटा चाहता है। मेरी समस्या है: मैं वो कब करूँगा जो मैं चाहता हूँ ?
बुढापा अचानक ही आ जाता है, ना कि धीरे -धीरे, जैसा कि सोचा जाता है।
श्रेष्ठता कोई हुनर नहीं है। यह एक रवैया है।
महिलाएं हाथी की तरह हैं, मैं उनकी तरफ देखना पसंद करता हूँ, लेकिन उन्हें अपनाना नहीं चाहता।
एक सेना अपने पेट के बल पर आगे बढती है!