निर्देशक: जैक स्नाइडर
रेटिंग: ***
'मैन ऑफ़ द स्टील' एक ऐसी कहानी है, जिसमें क्रिप्टोनियन केप-योद्धा को अपने वजूद और आत्म-बोध का पता चलता है। यह एक ऐसा योद्धा है, जो पिछले 75 सालों से, हास्य, टीवी शो और फिल्मों के माध्यम से दुनियाभर में सुपरमैन के रूप में जानता है।
हालंकि कहानी थोड़ी देर से समझ आती है, लेकिन इसमें सुपर हीरो की व्युत्पत्ति उत्पति बेहद रोचक है। इसीलिए यह कहानी बाइबिल से छोटे से मोसेस और महाभारत के कृष्ण से काफी हद तक समानता रखती है। कल-एल ग्रह क्रीप्टोण के दौरान पैदा होता है, और जिसे धरती पर "अस्तित्व की रक्षा" के लिए लाया जाता है।
नीचे धरती पर, क्लार्क के रूप में उसका नामकरण किया जाता है। जब वह अपने पालक माता- पिता जोनाथन और मार्था केंट के साथ देहाती और ग्रामीण केन्सास में रहता है, तो वह असाधारण शक्तियों की खोज करता है, और वह इस दुनिया से नहीं होती। और वह अपने जीवन के लक्ष्य को समझने के लिए यात्राए करता है।
हालात तेजी से एक तस्वीर में बदल जाते है, जब क्लार्क आर्कटिक में कहीं एक अजीब 'विषम वस्तु' की खबर देता है। इसके बाद वह अपने जन्म के पिता जोर-एल (रसेल क्रो) से जुड़ जाता है, जो उसे एक छोटी सी एनिमेटिड कहानी के माध्यम से क्रिप्टन के गिरने और उसके जन्म के रहस्य और लक्ष्य को बताता है।
फ़िल्म के लगभग 40 मिनट के बाद, क्लार्क पहले उभरे हुए एक 'एस' आकार के ताबीज का खुलासा करता है। जिसमें क्रिप्टोनियन भाषा में अर्थ है 'आशा का अवतार'।
30 वर्षीय, कल-एल के रूप में, हैनरी काविल 'मैन ऑफ़ द स्टील' को और आकर्षक और दिलचस्प बना देता है। वह उदासी के तौर पर संतुष्ट कर रहा है, संघर्षरत सुपरमैन अपनी चमत्कारों की स्थिति से उबरने की कोशिश कर रहा है। दुर्भाग्य से स्क्रिप्ट, उसे भाषण के मामले में ज्यादा कुछ नहीं देती। लेकिन उसने एक्शन के माध्यम से सारी जिम्मेदारी ले ली है।
केविल के जमीनी माता-पिता, विन कोस्टनर और डियाने लेन ने बेहद भावुक अदाकारी दी है। जोर-एल के रूप में रसेल क्रो ने अपनी भूमिका में से होकर गुजारता है। ज़ोड के रूप में माइकल शैनन एक प्रतिद्वंदी के तौर पर बेहद आरामदायक स्तर पर थे और प्रभावी रूप से डर को बढ़ावा देते है।
काविल के प्रेमी के तौर पर एमी एडम्स पर संकीर्ण ध्यान केंद्रित किया गया है। वहीं लोइस लेन, पुलित्जर, पुरस्कार विजेता, और मेहनती समाचार संवाददाता, पत्रकारिता के माध्यम से उसकी गुप्त पहचान परिणाम निकालने के लिए, अपनी कुशाग्र बुद्धि का उपयोग करता है । यह हमारे दिल को बाँध नहीं पाता। ऐसा इसलिए कि शायद निर्देशक ने इसे स्क्रीन पर ज्यादा समय नहीं दिया।
इसे एक बेहद गैर-पारम्परिक फैशन में प्रस्तुत किया है। निर्देशक जैक स्नाइडर लेखक डेविड एस गोयर के साथ मिलकर बेहद चतुराई और उत्सुकता से क्लार्क के लक्षणों को सामने रखते है। हंस ज़िम्मर द्वारा किया गया अद्भुत स्कोर फ़िल्म में दर्शकों का ध्यान हथियाने का काम करता है। फ़िल्म के दूसरे भाग को सीजीआई के द्वारा दबा दिया गया है और एक समय के बाद यह बोरिंग हो जाती है।
फ़िल्म हास्य रहित होने के बावजूद भी, पकड़ बनाती है। और लगातार शोर, विनाशकारी सौंदर्यशास्त्र के बावजूद भी यह भावनात्मक मोर्चे पर अपने दर्शकों के साथ जुड़ जाती है।