निर्देशक: जस्टिन चाडविक
रेटिंग: ***
1995 में नेलसन मंडेला के विशेष जीवन पर आधारित यह फ़िल्म मंडेला के जीवन को एक वकील, एक रंगभेद विरोधी क्रांतिकारी, राजनीतिज्ञ व कार्यकर्ता के रूप में प्रासंगिक-व- वृत्तचित्र के माध्यम से दर्शाती है। जिसमें वह 1994 में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति चुने गए थे।
फ़िल्म में जिस चीज को याद किया जाता हैं वह हैं, ग्रसा मचैल से तीसरी शादी और उनके अंतिम दिन।
फ़िल्म नाटकीय रूप से घि से हुए और सामान्य गर्मजोशी के दृश्यों से भरी हुई है। निर्देशक जस्टिन चाडविक के 'मंडेला: लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम' जिसे लंबे समय से स्थापित संस्थागत नस्लवाद की पृष्ठभूमि तैयार किया गया है।
यह मंडेला को एक हीरो के तौर पर नहीं बल्कि उनके वास्तविक जीवन को दिखती है। जो एक ऐसे आदमी का चरित्र दिखती हैं जो आम हैं और वासना के आगे भी झुक जाता है। वहीं फिल्म में रंगभेद के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को भी दर्शाया गया है।
"मैंने भी एक रात के बाद दूसरी रात को वही सपना देखा। मैं ओरलैंड स्थित घर वापिस आ रहा हूँ ...वे अपने जीवन से खुश प्रतीत हो रहे है, लेकिन वे मुझे नहीं देखते। एक आवर्ती आवाज बार-बार फ़िल्म को बुकमार्क करती है, जो बच्चों के असेम्बल के साथ शुरू होती है, जो दक्षिण अफ्रीका के जंगल में गर्मियों में खेल रहे है।
थोड़ी देर के बाद, फिर एक वॉयसओवर में, मंडेला फिर बताता हैं कि उसके पिता ने उसका नाम रोल्हलहला क्यूँ रखा। वह अपने बचाव में कहते हैं, "मेरे पिता मुझे मुसीबत निर्माता बुलाया करते थे ...लेकिन मैं अपने परिवार को गर्व महसूस कराना चाहता हूँ।
इसके बाद एक चतुर और महत्वाकांक्षी वकील के रूप में , झलक देने के बाद यह कथन जोहांसबर्ग 1942 तक आकर रुक जाता है। इसके बाद नाटकीय तौर पर वकील के बाद दृश्य दिखना बंद हो जाता है।
और उसके दावे के सहायक के रूप में, यह दृश्य बेशर्मी से उनके मुवक्किल का बचाव करता है। जिसमें दोषी के ऊपर उसकी मालकिन के अंडरगार्मेंट्स चुराने का आरोप है। यह रसिक दृश्य निश्चित रूप से सींस की भावना को बढ़ा देता है , लेकिन इसके तुरंत बाद दृश्य दुर्भाग्य से फीका पड़ जाता है।
आम तौर पर, बायोपिक उन लोगों पर बनती है जिन्होंने उल्लेखनीय कार्य किये होते है। "मंडेला: लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम" भी ऐसे ही अवयव रखती है, जिसमें दुर्भाग्य से जोश छूट गया है।
उदाहरण के लिए, मंडेला का राजनीति में प्रवेश, उनके प्रारंभिक जीवन में एक मील का पत्थर है। इसके साथ तब न्याय होता हैं जब एक पिए हुए काले आदमी को पुलिस कस्टडी में मार दिया जाता है। जिसके बाद मंडेला अपनी ज्वलंत पहचान और क्रांतिकारी स्पीच के साथ सामने आता है।
फ़िल्म में क्या हैं जो नहीं झलकता और वह हैं मंडेला का गुस्सा, और उसकी अपनी पत्नी और बच्चों के प्रति नैतिक विचारधारा।
लेकिन जब वह जेल में है तो विनी की कहानी हैं जिस से दर्शक चिपके रहते है।
इदरिस एल्बा मंडेला के रूप में एक अच्छा काम करता है। उसका एक बुजुर्ग से एक युवक के सफर में सिर्फ एक या दो बार ही अपनी लय से फिसलता हुआ दिखा हैं नहीं तो उसने अच्छा चित्रण किया है। वह मंडेला के चलने और स्पीच का पूर्णता के साथ अभिनय करता है।
विनी के रूप में नाओमी हैरिस, तीव्र और चमकदार है । उन्हें जटिल और विवादास्पद श्रीमती मंडेला के रूप में देखना बहुत ही मजेदार है। जिन्हें राजनीति में परिस्थितियोंं के कारण जाना पड़ा था। और यह तब हुआ था जब वह अपने पति के जेल में होने के कारण उनका काम संभालती थी। उनके किरदार के हाव भाव नेलसन मंडेला को चरितार्थ नहीं कर पाता। जिस से नेलसन मंडेला के साथ उनके पारस्परिक संबंध उजागर नहीं होते।
फिल्म की शूटिंग जिन स्थानों पर हुई है, वह वास्तविक जगह है वह निर्देशक चाडविक के समग्र दृष्टिकोण का प्रतीक है । उन्होंने उम्मीद के मुताबिक फैशन अशांति का चित्रण किया है। अखबार सामग्री की असेंबल के साथ गलियों में होने वाली लड़ाईयों से लेकर बॉब मार्ले और सार्वजनिक शत्रु। इसमें नेलसन मंडेला के 70वें जन्मदिन के श्रद्धांजलि संगीत समारोह की 'बीबीसी' फुटेज भी है, जिसका 1988 में वेम्बली में मंचन किया गया और दुनिया भर में प्रसारित किया गया था।
कुल मिला कर, कहे तो यह फ़िल्म इस असाधारण आदमी के लिए एक श्रद्धांजलि है, लेकिन स्क्रीन पर उन्हें प्रतिष्ठित करने के लिए फ़िल्म में भावनात्मक ड्राइव की कमी है।