एक बार एक शायर पहली बार दिल्ली जाता है, वहाँ वो क़ुतुब मीनार देखता हैं और उसके दिमाग में शेर आता है.. क़ुतुब मीनार को देख के शायर का दिमाग दौड़ा.. आसमान को चोदने चला धरती का लौड़ा... अब शायर साहब की शायरी सुनकर कुछ लोग गुस्सा हो गए और उन्हें पकड़ कर शहर के निजाम के यहाँ ले गए.. उस दिन निजाम की बेटी की शादी थी, निजाम ने सोचा कि यह शायर है तो चलो इससे कोई शायरी बोलने के लिए कहते हैं.. शायर जी शेर कहना शुरु करते हैं... शेर कहे, शायरी कहे या गाए कोई गाना, शेर कहे, शायरी कहे या गाए कोई गाना, तेरी नानी पैर उठाये, चोदे मेरा नाना ! निजाम साहब गुस्सा हो जाते हैं पर अपने गुस्से को दबाते हुए बोलते हैं- अरे भाई शायर साहब, कोई शादी वाला शेर सुनाइए... क्या हसीं फिजा है इंतजाम की... क्या हसीं फिजा है इंतजाम की... चुदेगी आज लौंडिया निजाम की... यह सब सुन कर निजाम साहब को बहुत गुस्सा आया, निजाम साहब ने शायर को शादी से बाहर निकाल दिया, लोग शायर को पत्थर मारने लगे.. शायर ने फिर शेर कहना शुरू किया... ए धरती के चाँद सितारों... शायर ने फिर कहा ए धरती के चाँद सितारों.. माँ के लौड़ो, पत्थर तो ना मारो... यह सुन कर लोग और ज्यादा गुस्सा हो गए, लोग अब शायर को लातों-घूंसों से मारने लगे.. अपनी हालत देख कर शायर फिर फरमाता है... गर्दिश में हैं सितारे, गाण्ड मार लो हमारी.. गर्दिश में हैं सितारे, गाण्ड मार लो हमारी.. जब बहारे-चमन में होंगे, माँ चोद देंगे तुम्हारी... |