एक दिन संसद के मध्य सत्र में एक सांसद जो अपने गुस्से और सनकीपन के लिए मशहूर था, बहुत ही गुस्से में जोर-जोर से चिल्लाने लगा, इस सदन में बैठे आधे नेता डरपोक और भ्रष्टाचारी है! सदन में बैठे अन्य नेतागण जोर से चिल्लाने लगे या तो ये महोदय अपनी स्टेटमेंट वापिस ले या फिर इन्हें बचे हुए सत्र से बर्खास्त कर बाहर भेज दिया जाये! थोड़ी देर के लिए सदन में बिल्कुल सन्नाटा छा गया! फिर वह सांसद बोला ठीक है, मैं अपने शब्द वापिस लेते हुए कहता हूँ कि इस सदन में बैठे आधे नेता न तो डरपोक है और न ही भ्रष्टाचारी है! |
एक मंत्री जी भाषण दे रहे थे उसमें उन्होंने एक कहानी सुनाई: एक व्यक्ति के तीन बेटे थे, उसने तीनों को 100-100 रूपए दिए और ऐसी वस्तु लाने को कहा जिससे कमरा पूरी तरह भर जाये! पहला पुत्र 100 रूपए की घास लाया पर पूरी तरह कमरा नही भरा! दूसरा पुत्र 100 रूपए का कपास लाया उससे भी कमरा पूरी तरह नही भरा! तीसरा पुत्र 1 रूपए की मोमबती लाया और उससे पूरा कमरा प्रकाशित हो गया! आगे उस मंत्री ने कहा हमारे प्रधानमंत्री उस तीसरे पुत्र की तरह है, जिस दिन से राजनीति में आये है उसी दिन से हमारा देश उज्जवल प्रकाश और समृद्धि से जगमगा रहा है! . . . तभी पीछे से किसी आदमी की आवाज आई बाकि के 99 रूपए कहाँ है? |
बेटा: पापा 'पॉलिटिक्स' क्या है? बाप: तेरी माँ घर चलाती है उसे सरकार मान लो! मैं कमाता हूँ मुझे कर्मचारी मान लो कामवाली काम करती है उसे मजदूर मान लो! तुम देश की जनता! छोटे भाई को देश का भविष्य मान लो! बेटा: अब मुझे 'पॉलिटिक्स' समझ में आ गयी पापा! कल रात मैंने देखा की कर्मचारी मजदूर के साथ किचन में मज़े ले रहा था! सरकार सो रही थी! जनता की किसी को फ़िक्र नहीं थी और देश का भविष्य रो रहा था! |
नेताओं से भरी एक बस जा रही थी अचानक बस सड़क से नीचे उतरकर खेत में एक पेड़ से जा टकराई! खेत मालिक दौड़ता हुआ आया सब कुछ देखकर उसने एक गढ्ढा खोदना शुरू किया और फिर उसमें नेताओं को दफना दिया! कुछ दिन बाद पुलिस को बस के एक्सीडेंट के बारे में पता लगा पुलिस ने किसान से पूछा कि सारे नेता कहां गए? रामू ने बताया कि उसने सभी को दफना दिया है पुलिस ने पूछा, सब मर गए थे क्या? रामू बोला, नही! कुछ कह रहे थे कि वे नही मरे, पर आप तो जानते ही हैं कि ये नेता झूठ कितना बोलते हैं! |