एक बार दो शराबी रात को नशे में टुन्न होकर एयरपोर्ट पर खड़े थे। उन्होंने एक टैक्सी रोकी और टैक्सी वाले को बोले, "चलो भाई एयरपोर्ट ले चलो।" टैक्सी वाले ने पहले तो उनकी हालत देखी और फिर सोचा कि चलो मुफ्त के पैसे बना लेता हूँ। इसलिए उसने उनको टैक्सी में बिठाया और दो मिनट बाद ही बोला, "लो साहब एयरपोर्ट आ गया।" एक शराबी नीचे उतरा और टैक्सी वाले को पैसे दे रहा था कि दूसरे शराबी ने टैक्सी वाले को ज़ोरदार थप्पड़ लगा दिया। टैक्सी वाला डर गया कि कहीं इसे पता तो नहीं लग गया। इतने में शराबी बोला, "आराम से चलाया कर नहीं तो आज हम मर ही जाते।" |
पहले मैं बहुत परेशान रहता था हमेशा सोता रहता था। मुझसे कोई काम नही हो पाता था। घर वालों के ताने सुनकर रो दिया करता था। फिर मैंने इस नए प्रोडक्ट के बारे में सुना, जिसका नाम है 'दारू'। यह सच में बहुत लाजवाब है। अब मैं अपनी नींद केवल 3-4 घंटे में ही पूरी कर लेता हूँ और हर तरह का काम कर लेता हूँ। दुनिया भर के ताने और गलियाँ हँसते-हँसते सह लेता हूँ। कितनी भी मुसीबत आए हमेशा खुश रहता हूँ। दुःख सुख की फिक्र से ऊपर उठ गया हूँ। नरक और स्वर्ग यहीं है इसका भेद समझ गया हूँ। मुझे अपने दुश्मनों से भी प्यार हो गया है। सच में दारू असरदार है। इसलिए दारू का क्वार्टर हमेशा अपने पास रखो और जब भी तुम्हें किसी प्रकार की कोई घबराहट हो तो अपनी दारू पी लो। तुम ज़रूर कामयाब हो जाओगे। क्योंकि अगर तुम दारू को सह सकते हो तो कुछ भी कर सकते हो। इसलिए आज ही दारू का सेवन शुरू करें और मुझे बुलाना मत भूलें। |
DRINK शब्द का एक-एक Alphabet एक-एक पेग के असर को देख कर बनाया गया है। अक्षर के पहले शब्द को लेकर DRINK शब्द बना है। 1. यदि एक पेग लेते हैं तो वो Digestion (पाचन) के लिए ठीक है, इसलिये उसका "D" लिया गया। 2. यदि दूसरा पेग लेते हैं तो वो Relaxation (विश्राम) के लिए ठीक है, इसलिये उसका "R" लिया गया। 3. यदि तीसरा पेग लेते हैं तो वो आपको Intelligent ( बुद्धिमान ) बना देता है, इसलिये उसका "I" लिया गया। 4. यदि चौथा पेग लेते हैं तो वो आपको बातों से Naughty बना देता है, इसलिये उसका "N" लिया गया। 5. यदि पांचवा पेग लेते हैं तो वो आपको King (राजा ) बना देता है, इसलिये उसका "K" लिया गया है। इस तरह बना है DRINK इसलिये किसी और लिक्विड को पीने को Drink नहीं कहा जाता। |
मैं औऱ मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं; ज्यादा पीऊं या कम, व्हिस्की पीऊं या रम; या फिर तौबा कर लूं, कुछ तो अच्छा कर लूं; हर सुबह तौबा हो जाती है, शाम होते होते फिर याद आती है; क्या रखा है जीने में, असल मजा है पीने में; फिर ढक्कन खुल जाता है, फिर नामुराद जिंदगी का मजा आता है; रात गहराती है, मस्ती आती है; कुछ पीता हूं, कुछ छलकाता हूं; कई बार पीते पीते, लुढ़क जाता हूं; फिर वही सुबह, फिर वही सोच; क्या रखा है पीने में, ये जीना भी है कोई जीने में; सुबह कुछ औऱ, शाम को कुछ औऱ; मैं औऱ मेरी तनहाई, अक्सर ये बाते करते हैं। |