एक बैंक बिल्कुल जेल के सामने था एक दिन बैंक के सेफ का लॉक नही खुल रहा था बैंक वालों ने हर तरह कोशिश की मैकनिक बुलाये पर फिर भी वे सेफ का लॉक नही खोल पाए।
तब बैंक मैनेजर ने जेल में जाकर कैदियों से मदद मांगी एक कैदी सेफ का लॉक खोलने के लिए तैयार हो गया। उसे पुलिस सुरक्षा में बाहर लाया गया और उसने थोड़ी ही देर में बिना किसी तोड़फोड़ के सेफ खोल दिया। बैंक मैनेजर उसके उस कारनामे से बहुत खुश हुआ। मैनेजर ने सेफ खोलने वाले कैदी से कहा, "मैं आपसे बहुत खुश हूँ, आपने बिना किसी क्षति के सेफ खोल दिया आप बताईये की इस काम के लिए हम आपको कितने रूपए दें।" सेफ खोलने वाले कैदी ने कहा, "पिछली बार तो जब मैंने ऐसा ही एक सेफ खोला था तो मुझे 10 लाख रूपए मिले थे तभी तो मैं यहाँ हूँ।" |
एक बच्चा अपने पापा के साथ बाईक पर जा रहा था। चाकलेट की दुकान पर पापा ने बाईक रोकी और बेटे के लिये चाकलेट लाने गये। उसे वहीं खड़े रहने को कहा... जब पापा लौट कर आये तो देखा बेटा वहाँ नहीं था।
उन्होंने नजर दौड़ाई तो देखा कि बेटा एक बिल्डिंग को बहुत गौर से देख रहा था! पापा करीब पहुँचे तो उनको देखकर बेटा बोला, "मैं इस बिल्डिंग को जानता हूँ पापा... इससे मेरा जरूर पिछले जन्म का नाता है... इसी से मैं यहां खींचता चला आया हूँ!" पापा ने एक चपत लगाई और कहा, "ये तेरा स्कूल है जो पिछले साल से बंद है!" |
कोरोना वैक्सीन लगवाने गया तो वहाँ ये बोर्ड लगा हुआ था! महत्वपूर्ण सूचना: 1. वैक्सीन लेते समय फोटो खींचने के लिए कैमरा, मोबाइल या अन्य उपकरण के साथ अपना साथी या रिश्तेदार साथ में लायें! 2. आधी बांह वाली कमीज या टीशर्ट पहन के आयें जिससे कि कमीज आधा नहीं खोलनी पड़ेगी और फोटो में आप काफी शानदार दिखेंगे! 3. वैक्सीन लगते ही जितना जल्दी संभव हो तुरंत वो फोटो Facebook, WhatsApp या अन्य जगह पर अपलोड कर दें! वर्ना यह वैक्सीन ज्यादा कारगर नहीं रहेगी! 4. वैक्सीन वाले फोटो के साथ कम से कम अगले 24 घंटे तक कोई अन्य फालतू की पोस्ट न करें जिससे कि आपकी वैक्सीन वाली फोटो पर से ध्यान न बंटे! |
आज रात 11 बजे कोरोना से,मेरी मुलाकात हो गई ! चलते-चलते 6 फीट दूर से, बात हो गयी ! मैंने कहा:- कोरोना ! बड़ा ऊधम. मचाए हो !. चुनावी रैली छोड़कर, क्यों मेलों,बाजारों ,शादी,समारोहों में आए हो ! क्या तुमको भी लगता है़ डर ! सरकारी आयोजनों से ? या लाए गए हो तुम भी, किन्हीं खास प्रयोजनों से ! अब मैं तुमसे, तुम्हारा ही इलाज जानना चाहता हूँ ! कल या परसों नहीं ! अभी और आज ही चाहता हूँ !! ये सुनकर, कोरोना रुआंसा होकर बोला ! कवि महोदय ! तुम सब की पीड़ा गाते हो ! मैं भी तो पीडित हूँ ? क्यों नहीं मेरी व्यथा सुनाते हो ! मैं तो पहले, आया था ! लेकिन अब बुलाया गया हूँ ! सत्ता के सरदारों ने, मुझको हथियार बनाया है़ ! उनकी मर्जी से ही अब मैं, अंदर-बाहर जाता हूँ ! फिर भी जाते-जाते, तुम्हें मैं अपना इलाज बताता हूँ ! जहाँ-जहाँ हिन्दुस्तान में, चुनाव कराया जाएगा ! वहाँ कोरोना का एक भी मरीज नहीं पाया जाएगा ! देश की भोली जनता में, समझ का अभाव है़ ! सुनो कविवर ! मेरा इलाज, सिर्फ और सिर्फ, चुनाव है़ !! |