एक जाट ने सार्वजनिक स्थान पर भैंस बांधने के लिए खूटा गाड़ रखा था। अन्य चौधरियो ने खूटा उखाड़ने का अनुरोध किया किन्तु जाट ने बात नहीं मानी। अंत में पंचायत बुलायी गयी। पंचों ने जाट से कहा, "तूने खूटा गलत जगह गाड़ रखा है।" जाट: मानता हूँ भाई। पंच: खूटा यहाँ नहीं गाड़ना चाहिए था। जाट: माना भाई। पंच: खूंटे से टकरा कर बच्चों को चोट लग सकती है। जाट: मानता हूं। पंच: भैंस सार्वजनिक स्थान पर गोबर करती है, गंदगी फैलती है। जाट: मानता हूं। पंच: भैंस बच्चों को सींग पूँछ भी मार देती है। जाट: मानता हूं, मैंने तुम्हारी सभी बातें मानी। अब पंच लोगो मेरी एक ही बात मान लो। पंच: बताओ अपनी बात। जाट: खूंटा तो यहीं गडेगा। |
एक जाट के पड़ोस में बनिया रहता था। बनिया की बीवी गुजर गई। जाट ने सोचा बनिया के पास बहुत पैसे हैं, कुछ आमदनी की जाये। जाट छाती पीटता हुआ बनिये के घर जा कर रोते हुए कहने लगा, "मेरा तुम्हारी बीवी से बहुत प्यार था। मैं उसके बिना कैसे जीऊंगा, मुझे भी इसके साथ जला आओ।" बनिया हाथ जोड़ कर बोला, "चौधरी दूर- दूर से रिस्तेदार आने वाले हैं। ऐसे मत कर। बहुत बेइज्जती होगी।" जाट: ठीक है, एक लाख रुपए दे दे, मैं चुपचाप चला जाऊंगा। बनिये ने एक लाख रुपए दे दिए और जाट खुशी खुशी अपने घर चला गया। कुछ दिन बाद जाट की घरवाली मर गई। बनिये ने सोचा अब मौका आया है जाट से ब्याज समेत पैसे वापिस लाऊंगा। बनिया रोता हुआ जाट के घर जा कर बोला, "मेरा और तुम्हारी घरवाली का बहुत प्यार था। मैं भी इसके साथ मरूंगा, मने भी इसके साथ फूँक आओ।" यह सुनकर जाट अपने लड़कों से बोला, "छोरो, थारी माँ कहे तो करै थी कि मेरा एक बनिये तै प्यार है। अच्छा तो ये ही है वो बनिया, फूँक आओ इस ने भी अपनी माँ के साथ।" बनिया: चौधरी माफ कर दे। मैं तो मजाक कर रहा था। जाट: ठीक है, दो लाख रुपये ले आ, वरना लड़के तनै फूकण नै तैयार खड़े हैं। |
एक हरियाणवी अपने स्कूटर पर जा रहा था, रास्ते में एक आदमी ने उससे लिफ्ट मांग ली। आगे लाल बत्ती थी हरियाणवी ने बड़ी तेजी से स्कूटर निकाल दिया पीछे बैठा आदमी डर गया। आदमी: भाई साहब लाल बत्ती थी। हरियाणवी: हम लाल बत्ती पर नहीं रुकते। फिर लाल बत्ती आई फिर निकाल दिया, आदमी और ज्यादा डर गया। आदमी: भाई साहब मरवाओगे क्या लाल बत्ती थी। हरियाणवी: हम हरियाणवी हैं हरियाणवी लाल बत्ती पर नहीं रुकते। आगे हरी बत्ती आई तो हरियाणवी ने जोर से ब्रेक मारी और वही रुक गया। आदमी: भाई साहब, अब तो चलो हरी बत्ती है। हरियाणवी: अबे मरवाएगा क्या, उधर से कोई दूसरा हरियाणवी आ रहा हुआ तो? |
भरी अदालत में मुकदमा जीतने के बाद जज साहब ने बुजुर्ग को बधाई देते हुए कहा, "बाबा आप केस जीत गए।" बुजुर्ग किसान: राम तनै... इतनी तरक्की दे कि तू "दरोगा" बण जा। वकील बोले, "रे ताऊ "जज" तो "दरोगा" तै बहुत बड़ा हो हैं। बुजुर्ग बोले, "ना रै मेरी नज़र मा तो दरोगा बडा है।" वकील: वो कैसे? बुजुर्ग: इस जज ने मुकदमा खत्म करै मे "दस साल" लगा दिये जबकि "दरोगा जी" शुरू म ही कह रहे थे 'पांच हजार रुपया दे दयो, दो दिन मे मामला रफा दफा कर दूंगा', तो हुए ना दरोगा जी जज से भी बड़े। |