गुदगुदी Hindi Jokes

  • युद्ध की शुरुआत!

    बेटा: पिता जी, युद्ध कैसे शुरू होते है?

    पिता: मान लो कि अमेरिका और इंग्लैंड में किसी बात पर मतभेद हो गया।

    माँ: लेकिन अमेरिका और इंग्लैंड में मतभेद हो ही नहीं सकता।

    पिता: अरे, भई मैं तो केवल एक उदाहरण दे रहा था।

    माँ: मगर तुम बच्चे को गलत उदाहरण देकर बहका रहे हो।

    पिता: नहीं, मैं बहका नहीं रहा हूँ।

    माँ: जरुर बहका रहे हो।

    पिता: बकवास बंद करो। एक बार कह दिया ना, नहीं बहका रहा हूँ।

    माँ: मैं क्यों चुप रहूं, तुम्हारी कोई धींगा-मुश्ती है?

    बेटा: आप लोग झगड़ा बंद करिए, मैं समझ गया कि युद्ध कैसे होते हैं।
  • मुफ्त में लीजिये!

    एक बार संता चेन्नई गया और वहां अपने तमिल दोस्त के घर जाकर ठहरा!

    अगले दिन वह बाजार में खरीददारी के लिए अकेले ही चल पड़ा उसके मित्र ने कहा कि जब तुम खरीददारी करोगे तो जो भी सामान खरीदोगे उसकी कीमत जितनी दुकानदार कहेगा तुम उसे कहना कि इसका आधा दूंगा!

    संता बाजार में पहुँच गया उसने एक स्टीरियो कि कीमत पूछी तो दुकानवाले ने कहा 2000 रूपए!

    संता ने कहा मैं 1000 रूपए दूंगा!

    दुकान वाले ने कहा साहब 1800 रूपए में दे सकता हूँ, इस पर संता ने कहा 900 रूपए!

    दुकानदार ने कहा साहब बस अब लास्ट रेट 1500 रूपए लगेगा, संता ने कहा 750 रूपए!

    इस पर दुकानदार ने चिढ़ कर कहा मैं आपको ये स्टीरियो मुफ्त में ही दे देता हूँ!

    संता ने कहा मैं इसे तभी मुफ्त में लूँगा अगर तुम इसके साथ और एक स्टीरियो दोगे!
  • गुरु, गुरु ही होता है!

    एक रात, चार कॉलेज विद्यार्थी देर तक मस्ती करते रहे और जब होश आया तो अगली सुबह होने वाली परीक्षा का भूत उनके सामने आकर खड़ा हो गया।

    परीक्षा से बचने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई। मैकेनिकों जैसे गंदे और फटे पुराने कपड़े पहनकर वे प्रिंसिपल के सामने जा खड़े हुए और उन्हें अपनी दुर्दशा की जानकारी दी।

    उन्होंने प्रिंसिपल को बताया कि कल रात वे चारों एक दोस्त की शादी में गए हुए थे। लौटते में गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया। किसी तरह धक्का लगा-लगाकर गाड़ी को यहां तक लाए हैं। इतनी थकान है कि बैठना भी संभव नहीं दिखता, पेपर हल करना तो दूर की बात है। यदि आप हम चारों की परीक्षा आज के बजाय किसी और दिन ले लें तो बड़ी मेहरबानी होगी।

    प्रिंसिपल साहब बड़ी आसानी से मान गए। उन्होंने तीन दिन बाद का समय दिया। विद्यार्थियों ने प्रिंसिपल साहब को धन्यवाद दिया और जाकर परीक्षा की तैयारी में लग गए।

    तीन दिन बाद जब वे परीक्षा देने पहुंचे तो प्रिंसिपल ने बताया कि यह विशेष परीक्षा केवल उन चारों के लिए ही आयोजित की गई है। चारों को अलग-अलग कमरों में बैठना होगा।

    चारों विद्यार्थी अपने-अपने नियत कमरों में जाकर बैठ गए। जो प्रश्नपत्र उन्हें दिया गया उसमें केवल दो ही प्रश्न थे:

    प्र.1 आपका नाम क्या है? (2 अंक)

    प्र.2 गाड़ी का कौन सा टायर पंक्चर हुआ था? (98 अंक)
  • बीमा कंपनी!

    एक बीमा कंपनी के तीन सेल्समैन अपनी अपनी कंपनी की तेज सेवा के विषय में बातें कर रहे थे।

    पहला कहने लगा,"यार हमारी कंपनी की सर्विस इतनी तेज है कि जब हमारी कंपनी द्वारा बीमाकृत व्यक्ति की सोमवार को अचानक मृत्यु हो गयी, हमें इस बात का पता उसी शाम को चला और हमारी कंपनी ने बुधवार को ही मुआवजे की सारी रकम उनके घर पहुंचा दी।"

    दूसरा आदमी बोला,"अरे यार, जब हमारी कंपनी द्वारा बीमाकृत व्यक्ति मरा था तो, जैसे ही हमारी कंपनी को पता चला तो हमारी कंपनी ने उसी शाम को उनके घर जाकर मुआवजे की सारी रकम दे दी।"

    आखिरी सेल्समैन ने कहा,"अरे ये तो कुछ भी नही हमारा ऑफिस एक बिल्डिंग के 20वें माले पर है और उस बिल्डिंग में लगभग 70 मंजिलें है हमारी कंपनी का बीमाकृत व्यक्ति 70 वें माले पर खिड़की साफ़ कर रहा था उसका पैर फिसला और वह नीचे गिर गया। जब वह हमारे ऑफिस तक पहुंचा तो हमने उसके मुआवजे वाला चैक उसके हाथ में ही पकड़ा दिया।"