पूरा देश रिया रिया हो रिया... जिनकी नौकरी गयी, वो रो रिया, जिनकी सैलरी कटी, वो भी रो रिया, जिनको कोरोना हुआ, वो रो रिया, जो कोरोना वॉरीअर है, वो भी रो रिया, जिसकी दुकान, फैक्टरी धन्धा बंद हुआ, वो रो रिया, मुंबई पुलिस, बिहार पुलिस, सीबीआई, न्यूज़ चैनल्स भी रिया रिया कर रिया, और जो रिया है उसकी समझ में नहीं आ रिया कि उसके साथ हो क्या रिया! |
90 वर्षीय एक सज्जन की दस करोड़ की लाटरी लग गई। इतनी बड़ी खबर सुनकर कहीं दादाजी खुशी से मर न जाएं, यह सोचकर उनके घरवालों ने उन्हें तुरंत जानकारी नहीं दी। सबने तय किया कि पहले एक डॉक्टर को बुलवाया जाए फिर उसकी मौजूदगी में उन्हें यह समाचार दिया जाए ताकि दिल का दौरा पड़ने की हालत में वह स्थिति को संभाल सके।
शहर के जानेमाने दिल के डॉक्टर से संपर्क किया गया। डॉक्टर साहब ने घरवालों को आश्वस्त किया और कहा, "आप लोग चिंता ना करें, दादाजी को यह समाचार मैं खुद दूंगा और उन्हें कुछ नहीं होगा, यह मेरी गारंटी है।" डॉक्टर साहब दादाजी के पास गए कुछ देर इधर उधर की बातें कीं फिर बोले, "दादाजी, मैं आपको एक शुभ समाचार देना चाहता हूं। आपके नाम दस करोड़ की लाटरी निकली हैं।" दादाजी बोले, "अच्छा! लेकिन मैं इस उम्र में इतने पैसों का क्या करूंगा पर अब तूने यह खबर सुनाई है तो जा, आधी रकम मैंने तुझे दी।" यह सुन डॉक्टर साहब धम् से जमीन पर गिरे और उनके प्राण पखेरू उड़ गए। |
चार चाइनीज कोरोना वायरस आपस में मिले! एक वायरस दूसरे से, "यार भारत आकर मैं तो फंस गया! एक घर में गया तो अदरक कूट कूट कर रोज चाय में पिला दी। मुश्किल से जान बचाकर भागा!"
दूसरा: यार मैं जिस घर में गया, उन्होंने तो रोज गिलोय, तुलसी, काली मिर्च ,शहद का काढ़ा पिलाकर मेरी ही फैमिली ख़त्म कर दी! तीसरा: यार मेरे साथ बहुत बुरी बीती, वो परिवार तो सुबह उठते ही गर्म पानी पीता है और उसके बाद कपालभाति प्राणायाम करता है! जितना मैं उनकी साँसों में घुसने की कोशिश करता हूँ उतना ही वो मुझे धक्का दे के बाहर फेंक देते हैं! चौथा: भाई मैं जिस परिवार में गया वो ऐसा कुछ नहीं करते... लेकिन चाय में तुलसी, नाश्ते में हल्दी, अजवायन का छोंक, खाने की सब्जी में लहसुन, जीरा, मेथी, दालचीनी, त्रिफला! हे भगवान इन भारतीयों के पास इतने कोरोना किलर हैं, ऊपर से ये हनुमान चालीसा पढ़ पढ़ के डराते हैं और हर घर में एक बुजुर्ग, एक दादी वो तो पूरे भगवान हैं, कोई न कोई जड़ी बूटी, मसाले बताते ही रहते हैं! अब जब तक ये परिवार व्यवस्था और प्रभु में आस्था यहाँ रहेगी हम तो इनका कुछ बिगाड़ ही नहीं सकते! |
एक आदमी महा कंजूस था। उसने एक शीशी में घी भर कर उसका मुँह बंद किया हुआ था। जब वह और उसके बेटे खाना खाते तब शीशी को रोटी से रगड़ कर खाना खा लेते थे।
एक बार कंजूस किसी काम से बाहर चला गया। लौटने पर उसने बेटों से पूछा, "खाना खा लिया था।" बेटे बोले: हाँ। कंजूस: पर शीशी तो मैं अलमारी में बंद करके गया था। बेटे बोले: हमने अलमारी के हैंडल से रोटियाँ रगड़ कर खा लीं। कंजूस नाराज हो कर बोला: नालायकों, क्या तुम लोग एक दिन बिना घी के खाना नहीं खा सकते थे। |