एक बार एक बादशाह को एक लड़की पसंद आ गयी। उस लड़की का बाप सुनार था, बादशाह ने सुनार को दरबार में आने के लिए बुलावा भेजा।
चार दिन गुजरने के बाद भी सुनार बादशाह के दरबार में नहीं आया तो बादशाह ने सुनार को गिरफ्तार करने के लिए अपने सिपाही भेज दिए। जब सिपाही सुनार के घर पहुंचे तो घर को ताला लगा हुआ था। बादशाह ने सिपाहियों को हुक्म दिया कि सुनार को ढूँढो। सिपाहियों ने सुनार को हर जगह ढूँढा, लेकिन वो उनको कहीं नहीं मिला, फिर उन्होंने एक तरकीब निकाली और ऐलान किया कि जो भी सुनार को ढूँढने में मदद करेगा उसे एक किलो सोना दिया जाएगा, फिर भी सुनार नहीं मिला। फिर ऐलान किया गया कि जो भी सुनार को छुपने में मदद करेगा उसे फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा, फिर भी सुनार नहीं मिला, और सिपाहियों का सुनार को ढूँढने में सारा वक़्त ऐसे ही बर्बाद हुआ जैसे आप का इस को पढने में हुआ.... जिस का कोई मतलब नहीं है। हँसना मत, गुस्सा भी मत करना मेरे साथ भी ऐसे ही हुआ था। आप भी किसी और के साथ ऐसा करके बदला ले सकते हैं। |
एक करोड़पति मर गया और स्वर्ग का दरवाजा खटखटाने लगा।
देव: कौन हो तुम? करोड़पति: मैं धरती पर करोड़पति था। मुझे स्वर्ग में प्रवेश चाहिए। देव: स्वर्ग में रहने लायक तुमने कौन सा काम किया है? करोड़पति: एक बार मैंने एक भूखी भिखारिन को 10/- रूपये दिए थे। एक बार मेरी कार से टकराकर घायल हुए एक बच्चे को 100/- रुपये दिए थे। देव: और कुछ किया? करोड़पति: और कुछ तो याद नही आ रहा। देव (दूसरे देव से) भाई क्या करें इसका? दूसरे देव: इसके 110/- रूपये लौटाकर इसे नरक भेज दो। |
बंता: प्रीतो और मैं तलाक ले रहे है। संता हैरान होते हुए, "क्यों क्या हुआ तुम दोनों तो बहुत अच्छे से रहते हो।" बंता: जब से हम लोगों ने शादी की है तब से प्रीतो मुझे बदलने की कोशिश में लगी हुई है, सबसे पहले उसने मुझे शराब पीने से रोका, फिर सिगरेट फिर इधर-उधर आवारा घूमने से। उसने मुझे सिखाया कि अच्छे कपड़े कैसे पहनते है, उसने मुझे संगीत और कला के प्रति रूचि आदि सब सिखाये और स्टॉक मार्केट में कैसे निवेश करना है ये सब भी उसी ने सिखाया। संता ने कहा, "क्या तुम बस इसलिए नाराज हो कि उसने तुम्हें बदलने के लिए ये सब किया।" बंता: अरे मैं नाराज नहीं हूँ मैं अब काफी सुधर चुका हूँ तो अब वो मुझे अपने लायक नहीं लगती। |
लिपिका जी डाक्टर साहब के क्लिनिक पर भागी भागी गईं, थोड़ी घबराई हुई थोड़ी सहमी हुई उनके चेहरे पर कुछ बुरा होने के आसार दिखाई दे रहे थे। डाक्टर साहब की उनपर नज़र पड़ी तो डाक्टर को लगा कि इस औरत को इंतज़ार में लगे बाक़ी पेशंट से पहले इलाज होना चाहिये, अपने नियम को भूलकर डाक्टर साहब ने उन्हें पहले बुलवा लिया। "जी, क्या प्राब्लम है आपकी?" डाक्टर साहब ने निहायत संजीदगी से पूछा जो संजीदगी वह अपने खास पेशंट को ही दिखाते थे। "डाक्टर साहब, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है! प्राब्लम मेरे हसबैंड में हैं मुझे लगता है कि वो मानसिक रोगी होते जा रहे हैं।" लिपिका जी ने इत्मीनान से जवाब दिया। "अच्छा, क्या करते हैं? आप पर हाथ उठाते हैं या आपके साथ मिसबिहेव करते हैं?" डाक्टर साहब ने पूछा। "नहीं नहीं, हाथ तो अभी तक नहीं उठाया है और न ही कभी ऐसी हिम्मत हुई पर धमकियां देते हैं और साथ ये भी कहते हैं कि "मेरा हिसाब कर दो".. "मेरा हिसाब कर दो।" ..ये कहते ही लिपिका जी ख़ामोश हो गईं। "आप परेशान न हों, कहां हैं आपके हसबैंड साथ नहीं लाए आप उनको?" डाक्टर साहब ने कहा। "डाक्टर साहब, मैं उनको साथ नहीं ला सकती वो भी यहां आपके क्लिनिक पर।" लिपिका जी ने मायूसी से कहा। "जी जी, मैं समझ सकता हूँ।" डाक्टर साहब ने जवाब दिया..इतनी गुफ्तगू के बाद डाक्टर साहब और लिपिका जी के दरमियान एक गहरा अंजाना सा रिश्ता बन चुका था, इसलिए नहीं कि वह खूबसूरत थीं बल्कि ये डाक्टर साहब हर खूबसूरत औरत के साथ गहरा रिश्ता बना लेते थे। "डाक्टर साहब, अगर आप अपनी गाड़ी और ड्राइवर मेरे साथ भिजवा दें तो मैं अपने हसबैंड के आसानी से यहां ले आऊंगी।" लिपिका जी ने डाक्टर साहब से कहा। डाक्टर जो पहले से ही ऐसा करना चाह रहे थे उन्होंने अपने ड्राइवर को आदेश दिया कि मैडम के साथ जाओ.. अब लिपिका जी क्लिनिक से निकलकर गाड़ी में बैठ गईं और ड्राइवर से कहा कि फलां ज्वैलरी शाॅप ले चलो। कुछ ही देर में गाड़ी उसी ज्वैलरी शाप पर पहुंच गई.. लिपिका जी काफी नाज़ व अंदाज़ से उतरीं और ज्वैलरी शाॅप में चली गईं.. एक बहुत ही महंगा सा सेट पसंद किया पैक करवाया और जब पेमेंट की बारी आई तो बोलींः "मैं फलां डाक्टर की वाइफ हूँ अभी मुझे ये सेट लेना बहुत जरूरी था इसलिये जल्दी में आ गई अब मेरे पास पूरे पैसे भी नहीं हैं और न ही कार्ड है.. आप मेरे साथ अपने शाॅप के किसी आदमी को भेज दीजिये ड्राइवर उन्हें वहां तक ले जाएगा और डाक्टर साहब पेमेंट दे देंगे।" ज्वैलरी शाप के मालिक अजीत जी ने सोचा कि बड़ा अमाउंट है मुझे ही जाना चाहिए इस बहाने घूम भी लूंगा और जा कर गाड़ी में बैठ गये..पर लिपिका जी गाड़ी में नहीं बैठीं और ड्राइवर से कहा कि इनको डाक्टर साहब के पास ले जाओ.. ड्राइवर अजीत जी को लेकर क्लिनिक पहुंचा और डाक्टर साहब से बोला कि "मैडम नहीं आईं मगर उन्होंने इन साहब को भेजा है।" डाक्टर साहब ने धीरज रखते हुए अजित जी को देखा और इंतज़ार करने को... जब उनकी बारी आई तो डाक्टर साहब बड़े नरम लहजे में बोलेः "हां तो सुनाइये जनाब, क्या हाल हैं आपके? अजीत जी ने जवाब दियाः "जी डाक्टर साहब, मैं ठीक हूँ।" डाक्टर साहबः "तो क्या परेशानी और तकलीफ है आपको मुझे बताइये?" अजीत जीः "डाक्टर साहब "मेरा हिसाब कर दीजिये।" |