एक बार एक शराबी, शराब पी कर एक मंदिर के बाहर जाता है और पुजारी से बहस करने लगता है। शराबी: इस दुनिया में मैं सबसे बड़ा। पुजारी: भाई साहब आप कैसे बड़े ? आपसे बड़ा तो भगवान् है। शराबी: भगवान् बड़ा तो मंदिर में क्यों पड़ा? पुजारी: अच्छा मंदिर बड़ा। शराबी: मंदिर बड़ा तो धरती पे क्यों पड़ा? पुजारी: अच्छा धरती बड़ी। शराबी: धरती बड़ी तो शेषनाग क फन पर क्यों पड़ी? पुजारी: अच्छा शेषनाग बड़े। शराबी: शेषनाग बड़े तो शिवजी के गले में क्यों पड़े? पुजारी: अच्छा शिवजी बड़े। शराबी: अच्छा शिवजी बड़े तो पर्वत पर क्यों पड़े? पुजारी: अच्छा पर्वत बड़ा। शराबी: पर्वत बड़ा तो हनुमान जी के हाथ पर क्यों पड़ा? पुजारी: अच्छा हनुमान जी बड़े। शराबी: हनुमान जी बड़े तो राम जी चरणों में क्यों पड़े? पुजारी: अच्छा राम जी बड़े। शराबी: राम जी बड़े तो सीता जी के पीछे क्यों पड़े? पुजारी: अच्छा तो सीता जी बड़ी। शराबी: सीता जी बड़ी तो अशोक वाटिका में क्यों पड़ी? पुजारी: अरे भाई आप ही बताइए कौन बड़ा? शराबी: वो सबसे बड़ा जो दो बोतल पी कर भी सीधा खडा। |
शराब की लत से प्रेशान एक शख्स डॉक्टर के पास गया और बोला, "डॉक्टर साहब मेरी शराब छुडाओ।" डॉक्टर ने पूछा: रोजाना कितनी पीते हो? शराबी बोला: चार पैग। डॉक्टर बोला: धीरे-धीरे एक पैग कम कर दो। शराबी एक हफ्ते बाद डॉक्टर के पास पहुंचा। डॉक्टर ने पूछा: अब कितनी शराब पीते हो? शराबी ने जवाब दिया: तीन पैग। डॉक्टर ने कहा: अब एक पैग और कम कर दो। दो हफ्ते बाद शराबी फिर डॉक्टर के पास गया। डॉक्टर ने पूछा: अब कितनी पीते हो मेरे भाई। शराबी बोला: सर दो पैग। डॉक्टर ने बोला: बस अब एक पैग और कम कर दो। शराबी ने उदास होकर जवाब दिया: सॉरी डॉक्टर साहब पूरी बोतल को एक पैग में तो नहीं खत्म कर सकता मैं। |
एक आदमी सड़क पर बेहोश हो गया। उसके इर्द-गिर्द भीड़ जमा हो गई, हर कोई उसे होश में लाने के लिए सलाहें देने लगा। भीड़ में से एक बुढ़िया बोली, "बेचारे को थोड़ी ब्रांडी दे दो।" कोई बोला, "इसके मुंह पर पानी के छींटे मारो।" "इसे ब्रांडी दो।" बुढिया फिर बोली। "इसे पंखा करो।" कोई बोला। "इसे ब्रांडी दो।" बुढिया बोली। "इसे अस्पताल ले जाओ।" किसी ने कहा। "इसे ब्रांडी दो।" बुढिया फिर बोली। तभी बेहोश पड़ा आदमी उठकर बैठ गया और जोर से चिल्लाया, "आप सब लोग अपनी बकवास बंद कीजिये और उस बेचारी बुढिया की भी कोई सुन लो।" |
एक समय की बात है, करंटपुरा नामक कस्बे में दो दोस्त रहा करते थे। पहला जबर्दस्त पियक्कड़ और दूसरा भला इंसान। दूसरा हमेशा पहले को समझाता रहता था। कुछ समय बाद दूसरा दोस्त कामकाज के सिलसिले में कस्बे से शहर जा पहुंचा। कुछ समय कमाई-धमाई की, फिर वापस गांव लौटा। अपनी नई साइकिल के पैडल मारते हुए सीधे अपने दोस्त के घर पहुँचा। पहला हमेशा की तरह धुत्त मिला। दूसरे ने पूछा, "और क्या चल रहा है?" पहला बोला, "कुछ नहीं बस, पी रहे हैं.. जी रहे हैं... तुम सुनाओ।" दूसरा बोला, "बस, बढ़िया, शहर में कामकाज चल निकला है। साइकिल खरीद ली है, तुम साले सुधर जाओ।" और पैडल मारते हुए वापस शहर की तरफ निकल लिया। कुछ दिनों बाद फिर शहर से कस्बे में पहुंचा। इस बार स्कूटर पर था। सीधे दोस्त के घर का रास्ता लिया। वहां फिर वही क्या चल रहा है? वही पी रहे हैं, जी रहे हैं... सुधर जाओ टाइप बातें हुईं। फिर दूसरे ने स्कूटर को किक लगाई और फिर शहर की दिशा में वापस हो लिए। इस बार दूसरा कुछ महीनों बाद कस्बे में पहुंचा। इस बार कार में था। सीधे दोस्त के घर का रास्ता लिया। पता चला कि वो घर पर नहीं हैं, खेत गया हुआ है। तो दूसरे ने कार सीधे खेत की दिशा मे दौड़ा दी। वहां पहुंचा तो देखता क्या है कि पहला खेत के बीचों-बीच खाट पर बैठ पी रहा है। पास में ही एक हेलिकॉप्टर खड़ा है। दूसरा सीधे अपने दोस्त के पास जा पहुँचा और वही पुरानी बातचीत शुरू हो गई, "और क्या चल रहा है?" पहला बोला, "बस, कुछ नहीं यार, वही पी रहे हैं, जी रहे हैं... पीते-पीते बोतलें ज्यादा इकट्ठी हो गईं तो बेचकर हेलिकॉप्टर खरीद लिया और पार्किंग के लिए खेत भी खरीद लिया है, और तुम सुनाओ।" दूसरा वहीं बेहोश हो गया। |