एक साहब सुबह ऑफिस जाने के लिए बस में सवार हुए तो कंडक्टर ने सवाल किया, "रात ठीक-ठाक घर पहुंच गए थे?" आदमी ने बड़ी हैरानी से कंडक्टर की तरफ देखा और पूछा, "क्यों, मुझे क्या हुआ था रात को?" कंडक्टर ने जवाब दिया, "कल रात आप शराब पीकर टुन्न थे ना इसलिए।" आदमी: तुम्हें कैसे पता चला? मैंने तो तुम से बात तक नहीं की थी। कंडक्टर: आप जब बस में बैठे हुए थे तो एक मैडम बस में चढ़ी थीं, जिन्हें आपने उठकर अपनी सीट ऑफर की थी। आदमी: तो इसमें मैंने क्या गलत किया? कंडक्टर: अरे उस समय बस में केवल आप दो ही पैसेन्जर थे साहब। |
दारू एकम दारू - महफिल हुइ चालू दारू दुनी गिलास - मजा आयेगा खास दारू तिया वाईन - टेस्ट एकदम फाईन दारू चौके बियर - डालो नेक्स्ट गियर दारू पंजे रम - भूल जाओ गम दारू छक्के ब्रांडी - खाओ चिकन हाँडी दारू सत्ते व्हिस्की - काॅकटेल है रिस्की दारू अठ्ठे बेवडा - लाओ सेव चिवडा दारू नम्मे खंबा - ज्यादा हो गइ, थांबा दारू दहाम चस्का - नेक्स्ट पार्टी किसका? |
शराब का हमारी अर्थव्यवस्था में बडा महत्व है, क्योंकि शराबी एक मॉडल टैक्सपेयर होता है। किसी भी आइटम पर
टैक्स लगाया जाये, उसे देने वाला बवाल मचा देता है। पैट्रोल पर एक डेढ़ रुपया बढ़ जाऐ, मार ड्रामा शुरु हो जाता है। बीएमडब्ल्यु वाला भी हुड़की लगाकर चैनलों को बयान देने लगता है कि हम मर गये, लुट गये, तबाह हो गये। पर शराब का खरीदार अत्यँत शालीन होता है। औसतन हर साल शराब के भाव 15-20 परसेंट तो बढ़ते ही है, दिखा दे मुझे कोई कि कभी किसी शराबी ने चिक-चिक मचायी हो। इतिहास में एक भी जुलूस ऐसा नहीं दर्ज है, जिसमें शराब के खरीदारों ने डीएम को जुलूस निकालकर ज्ञापन दिया हो कि प्लीज दारु सस्ती कर दो। ऐसे उद्विग्न समय में शराबी का सा संयम सराहनीय है, ये इतनी दुर्लभ क्वालिटि है कि सिर्फ शराबियों में ही पायी जाती है। प्रदेश में शराब का कारोबार करीब 14,000 करोड़ रुपये का टर्नओवर दिखा रहा है, करीब 17,000 दुकानें हैं, सभी पर अनवरत लाईन लगी हुई है, कई की जालीदार खिडकियाँ तो सुबह ब्रह्मकाल मे ही खडका दी जाती है। इसलिऐ लोगो को अनुशासन, शालीनता और संयम का पाठ अगर लेना हो तो किसी शराबी से ले। |
शराब का हमारी अर्थव्यवस्था में बडा महत्व है, क्योंकि शराबी एक मॉडल टैक्सपेयर होता है। किसी भी आइटम पर टैक्स लगाया जाये, उसे देने वाला बवाल मचा देता है। पैट्रोल पर एक डेढ़ रुपया बढ़ जाऐ, मार ड्रामा शुरु हो जाता है। बीएमडब्ल्यु वाला भी हुड़की लगाकर चैनलों को बयान देने लगता है कि हम मर गये, लुट गये, तबाह हो गये। पर शराब का खरीदार अत्यंत शालीन होता है। औसतन हर साल शराब के भाव 15-20 परसेंट तो बढ़ते ही है, दिखा दे मुझे कोई कि कभी किसी शराबी ने चिक-चिक मचायी हो। इतिहास में एक भी जुलूस ऐसा नहीं दर्ज है, जिसमें शराब के खरीदारों ने डीएम को जुलूस निकालकर ज्ञापन दिया हो कि प्लीज दारु सस्ती कर दो। ऐसे उद्विग्न समय में शराबी का संयम सराहनीय है, ये इतनी दुर्लभ विशेषता है कि सिर्फ शराबियों में ही पायी जाती है। प्रदेश में शराब का कारोबार करीब 14,000 करोड़ रुपये का टर्नओवर दिखा रहा है, करीब 17,000 दुकानें हैं, सभी पर अनवरत लाईन लगी हुई है, कई की जालीदार खिडकियाँ तो सुबह ब्रह्मकाल मे ही खडका दी जाती है। इसलिए लोगो को अनुशासन, शालीनता और संयम का पाठ अगर लेना हो तो किसी शराबी से लें। जारी कर्ता: शराबी संघ |