संता-बंता Hindi Jokes

  • बंता का विचित्र ज्ञान!

    संता अपने बेटे पप्पू की वजह से बहुत परेशान था।

    इसी का सलाह-मश्वरा करने वो अपने दोस्त बंता के पास पहुंचा।

    संता: यार, मैं अपने बेटे पप्पू को लेकर बहुत चिंतित हूँ।

    बंता: क्यों क्या हुआ? उसने फिर कोई बदमाशी कर दी क्या?

    संता: नहीं यार, वो बात नहीं है।

    बंता: तो फिर क्या बात है?

    संता: बस आज-कल जब भी वो सुबह उठता है तो बहुत थका-थका और सुस्त महसूस करता है। समझ नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों होता है?

    बंता भी अपने आप को होशियार साबित करने की कोशिश में लग गया।

    बंता: तुम उसे सोने से पहले दूध पिलाते हो क्या?

    संता: हाँ, पिलाता हूँ।

    बंता: बस यही कारण है उसकी इस हालत का।

    संता: मैं कुछ समझा नहीं। दूध के कारण ऐसा कैसे हो सकता है?

    बंता: जब तुम उसे रात को दूध पिलाते हो तो रात को सोते वक़्त जब वो करवटें बदलता है तो दूध हिल-हिल कर दहीं बन जाता है, फिर दहीं से मक्खन निकल आता है, मक्खन फैट में बदल जाता है और उस फैट से चीनी बन जाती है और फिर चीनी की शराब। जिससे नतीजा यह होता है कि जब वो सुबह सोकर उठता है तो वो शराब के नशे में होता है। जिस कारण वो थका-थका और सुस्त महसूस करता है।
  • पत्नी की राजनीति!

    संता लंगड़ाता हुआ जा रहा था और उसके कपड़े फटे हुए थे।

    बंता ने पूछा: क्या हुआ भाई? यह हालत कैसे हुई तुम्हारी?

    संता: क्या बताऊं यार, बीवी को मुझे पिटवाने की नई तरकीब सूझी थी।

    बंता: कैसी तरकीब?

    संता: बीवी ने मुझे झाड़ू खरीदने भेजा था, मैं वापिस आ रहा था, तो बीजेपी कार्यकर्ताओं ने मुझे 'आप' का कार्यकर्ता समझ लिया!
  • आदत से मजबूर!

    जीतो ने संता से नाराज़ होकर मौन व्रत रख लिया।

    दो दिन बीत गए पर जीतो ने संता से कोई बातचीत नहीं की तो संता बहुत परेशान हो गया।

    तीसरे दिन संता ने शाम को एक मोमबत्ती जलाई और कमरे में इधर-उधर कुछ ढूंढ़ने लग गया।

    यह देख जीतो से रहा ना गया तो वो एक दम से संता पे चिल्लाने लगी,'क्या ढूंढ रहे हो? क्यों परेशान कर रहे हो इतनी देर से, लाइट होने के बावज़ूद भी मोमबत्ती लेकर घूम रहे हो, पागल हो गए हो क्या?

    संता: कुछ नहीं बस तुम्हारी जीभ खो गयी थी न, वही ढूंढ रहा था पर लगता है तुम्हें वापिस मिल गयी है!
  • बहादुर संता!

    एक बार संता और बंता दोनों मोटरसाइकिल पर जा रहे थे।
    रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया। दोनों को अस्प्ताल ले जाया गया।

    डॉक्टर ने बंता की मरहम पट्टी की तो उसने बड़ी चीख़-पुकार मचाई।
    सारा अस्प्ताल सिर पर उठा लिया।

    जब संता की बारी आयी तो वो बड़े आराम से पट्टी बंधवाता रहा।

    डॉक्टर बंता से: देखो यह कितना बहादुर इंसान है कितने आराम से पट्टी बंधवा ली।

    इतने में संता बोला: नहीं डॉक्टर साहब, दरअसल इसकी चीखें सुनकर मैं इतना डर गया था
    कि मैंने अपनी दूसरी टांग पर पट्टी बंधवा ली जो बिलकुल ठीक है!