एक औरत ने शिकायत की कि उसके सामने वाले मकान में एक आदमी (पप्पू) नंगा होकर नहाता है, जो कि उसकी खिडकी में से साफ़ साफ़ नजर आता है। पुलिस आयी और सीधा औरत के घर पहुंची। पुलिस अधिकारी: क्या वो आदमी अभी भी बाथरूम में है? औरत: जी हाँ वो अभी भी बाथरूम में है और नंगा होकर नहा रहा है। पुलिस अधिकारी: आप मुझे वहाँ ले चलिए जहां से वो आपको नंगा नहाता हुआ दिखता है। औरत (अपने कमरे की खिडकी की तरफ इशारा करते हुए): जी उस खिड़की से दिखाई देता है। पुलिस अधिकारी ने उस खिडकी से झाँक कर देखा और बोला, "पर उसका तो केवल चेहरा दिखाई दे रहा है? नंगा कैसे दिख गया वो आपको?" औरत: आप खिडकी के सहारे ये ये बड़ी मेज लगाइए और उसके ऊपर वो स्टूल रखिए और फिर उसके ऊपर चढ कर देखिये, वो आपको नंगा दिखाई दे जाएगा। |
एक गाँव में एक चौधरी के बेटे छेदामल की बड़ी मुश्किल से 40 वर्ष की आयु में 20 वर्ष की लड़की से शादी हो गयी।
शादी के बाद छेदामल जी दुल्हन को घर ले आये किन्तु दुल्हन छेदामल के बारे में कुछ भी नहीं जानती थी यहाँ तक की नाम भी नहीं और अगले दिन दुल्हन घूंघट लटकाए शरमाई हुई बैठी थी और मुंह दिखाई की रस्म शुरू हुई। एक बुजुर्ग औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो ठेर सोहनी है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन चौंकी, सकुचायी पर चुप रही। दूसरी औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो सोहनी है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन फिर चौंकी, सकुचायी पर चुप रही। तीसरी औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो चोखी है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन गुस्सायी और "हूं हूं हूं"। चौथी औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो चाँद का टुकड़ा है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन गुस्सायी और "हूं हूं हूं हूं हूं हूं।" पांचवीं औरत आई, घूंघट उठाया और बोली, "बहु तो बढ़िया है पर छेदा बड़ा हैं।" दुल्हन ने घूंघट उतार कर पीछे फेंका और जोर से गुर्रायी, "छेदा बड़ा है, छेदा बड़ा है, छेदा बड़ा है।" दुल्हन ने अपना लहंगा सिर तक ऊपर उठाया और बोली, "गौर से देख लो अभी तो सील भी नहीं टूटी।" |
डालो अपनी चाबी किसी और के लॉक में; आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंगकॉक में; डाले रहेते हो हाथ अपनी ही बीवी की डोक में आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंगकॉक में; परायी चूत का रस लगाओ अपने कोक पे; आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंगकॉक में; ढूंढो अपनी खुशी किसी और के फ्रॉक में; आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंगकॉक में; खुलकर ठोको तुम गली-रस्ते-चौंक में; आओ, कुछ दिन तो गुजारो बैंगकॉक में; रहते हो हमेशा बीवी के खौफ में; कुछ दिन तो गुजारो बैंगकॉक में। Bangkok Tourism |
एक बार पठान अपनी बेगम के साथ अपने कमरे में लेटा हुआ था। तभी अचानक वह बड़े प्यार से अपनी पत्नी की तरफ देख कर बोला," क्या हुआ क्या हमारी जान हमसे नाराज़ है?" बेगम: तौबा-तौबा खां साहब कैसी बात कर रहे हैं? पठान: नहीं हमको लग रहा है कि आप हमसे नाराज़ हैं। बेगम: नहीं खां साहाब ऐसी कोई बात नहीं है। मैं आपसे नाराज़ नहीं हूँ। पठान: फिर आज आप अपना मुंह हमारी तरफ और अपनी गांड दूसरी तरफ कर के क्यों सो रहीं हैं। |