Adult and Non Veg Hindi Jokes

  • धोखे में मौत हो गयी!

    एक लड़की के दादा जी गुज़र गए तो लड़की अपनी दादी के पास गयी और पूछा कि दादा जी कैसे मर गए?

    दादी: हम दोनों सेक्स कर रहे थे कि अचानक उन्हें दिल का दौरा पड़ गया।

    लड़की(हैरानी से): इस उम्र में आप सेक्स कर रहे थे। तब तो उन्हें दौरा पड़ना ही था।

    दादी: नहीं बेटा ऐसा नहीं है, दरअसल जब हमें एहसास हुआ कि हम बूढ़े हो गए हैं तो हमने इसका एक हल निकाला कि हर रविवार को जब चर्च का घंटा बजेगा और जितनी रफ़्तार से बजेगा हम उसके मुताबिक ही सेक्स करेंगे। धीरे-धीरे आराम से।

    लड़की: फिर दौरा कैसे पड़ा?

    दादी: यह सब हुआ उस दिन फायर ब्रिगेड की गाडी की वजह से, जिसकी घंटी को तुम्हारे दादा जी चर्च की घंटी समझ कर तेज़ हो गए थे।
  • दोस्त, दोस्त ना रहा!

    एक बार संता और बंता दोनों जंगल के रास्ते जा रहे थे। तभी अचानक एक बड़ा सा सांप संता के ऊपर गिर गया। संता ने उसे झटकने की कोशिश की पर उसने संता के लंड पर काट लिया।

    दोनों बहुत घबरा गए तो बंता मदद के लिए इधर-उधर भागा पर वहां आस-पास कोई भी नहीं था। बंता ने जल्दी से डॉक्टर को फ़ोन किया और बताया कि संता को सांप ने लंड पर काट लिया है।

    डॉक्टर ने पूरी बात सुनी और बोला, "तुम्हें संता का लंड चूस कर ज़हर निकालना होगा।"

    बंता: क्या इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है?

    डॉक्टर: नहीं, इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं है। तुम्हें ऐसा ही करना होगा नहीं तो संता मर जायेगा।

    बंता ने फ़ोन बंद किया और संता की तरफ देखने लगा।

    संता: क्या हुआ, क्या कहा डॉक्टर ने?

    बंता: डॉक्टर साहब कह रहे हैं कि तुम मरने वाले हो।
  • जान बची तो लाखों पाये!

    पठान बहुत ही आशावादी था। हर बात पर कहता था, "ख़ुदा ख़ैर करे, इससे भी बुरा हो सकता था।"

    उसके सारे दोस्त उसकी इस बात से बहुत परेशान थे। एक दिन उन सब ने मिलकर एक कहानी बनायी जिससे ज्यादा बुरा होना मुश्किल था।

    पठान का एक दोस्त ग़मगीन सा चेहरा बना कर बोला, "यार, कल तो बहुत ही बुरा हुआ।"

    पठान: क्यों क्या हुआ?

    दोस्त: यार कल मेरा पडोसी जब घर लौटा तो उसकी बीवी किसी गैर मर्द के साथ रंगरलियां मना रही थी। यह देख कर मेरे पडोसी ने गुस्से में आकर दोनों को गोलियों से भून दिया और फिर खुद को भी गोली मार ली।

    पठान: ख़ुदा ख़ैर करे, इससे भी बुरा हो सकता था।

    दोस्त (चिढ कर): इससे बुरा क्या हो सकता था?

    पठान: अगर यह किस्सा परसों का होता तो मरने वालों में एक नाम मेरा होता!
  • एक बदकिस्मत आदमी की कहानी उसी की ज़ुबानी!

    परसों मेरा जन्मदिन था, जब मैं सुबह उठा तो न मेरी बीवी ने मुझे शुभ कामनाएं दी न मेरे बच्चों ने। मैं बड़े दुखी मन से घर से ऑफिस जाने के लिए निकला। रास्ते में मेरे सभी दोस्त मिले पर किसी ने भी मुझे शुभ कामनाएं नहीं दी।

    जब मैं इसी दुखी मन से अपने केबिन में जा रहा था तो मेरी खूबसूरत सेक्रेटरी बोली, "जन्मदिन मुबारक हो सर।"

    मैं खुशी से फूला न समाया, फिर उसने मुझे कहा कि एक साथ लंच करते हैं। हम लंच के लिए बाहर चले गए। लंच करने के बाद वो बोली, "क्या आप मेरे साथ मेरे घर चलोगे? आपको कुछ खास देना है।"

    मैं बड़ी खुशी से उसके घर चला गया। मुझे अपने बैडरूम में बिठा कर वो बोली, "सर, मैं 5 मिनट बाथरूम से होकर आई।"

    मैंने ख़ुशी से कहा, "ठीक है।"

    कुछ देर बाद जब वो अंदर आई तो उसके हाथ में केक था और साथ में मेरी बीवी, मेरे बच्चे और मेरे सभी दोस्त थे।

    और मैं उसके इंतज़ार में बेड पर नंगा बैठा हुआ था।
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