सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और हर्ष दुगुना प्रतीत होता है। |
महान कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते हैं। |
महान कार्य शक्ति से नहीं, अपितु उधम से सम्पन्न होते है। |
सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और ख़ुशी दौगुनी लगती है। |
सच्चे मित्र के सामने दुःख आधा और ख़ुशी दोगुनी महसूस होती है। |