दुश्मनी की वजह से उत्पन होने वाली आग एक पक्ष को राख किए बिना कभी शांत नहीं होती। |
हित करने वाले लोगो को अपना समझो और अहित करने वाले लोगो को पराया| |
इस दुनिया में न कोई किसी का दोस्त है और न कोई किसी का दुश्मन। स्वार्थ से ही दोस्त और दुश्मन एक-दूसरे से बंधे हुए हैं। |
शूरवीरता, विद्या, बल, दक्षता और धैर्य, ये पांच इन्सान के स्वाभाविक मित्र हैं। और एक बुद्धिमान इन्सान हमेशा इनके साथ रहता हैं। |
निरोग रहना, कर्ज न होना, अच्छे-अच्छे लोगों से मेल-जोल रखना, अपनी आमदनी से जीविका चलाना और निभर्य होकर रहना यही इन्सान के सुख हैं। |
शूरवीरता, विद्या, बल, दक्षता और धैर्य, ये पांच इन्सान के स्वाभाविक मित्र हैं। और एक बुद्धिमान इन्सान हमेशा इनके साथ रहता हैं। |
शरीर का दुःख तभी मिटता है, जब मन का दुःख मिटता है | |
दुश्मनी की वजह से उत्पन होने वाली आग एक पक्ष को राख किए बिना कभी शांत नहीं होती। |
इस दुनिया में न कोई किसी का दोस्त है और न कोई किसी का दुश्मन। स्वार्थ से ही दोस्त और दुश्मन एक-दूसरे से बंधे हुए हैं। |
वह राजा इस लोक में और परलोक में दोनों जगह सुख पाता, जिस राजा को देशवासियों को प्रसन्न रखने की कला आती है| |