Maharshi Vedvyas Hindi Quotes

  • दुश्मनी की वजह से उत्पन होने वाली आग एक पक्ष को राख किए बिना कभी शांत नहीं होती।
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    दुश्मनी की वजह से उत्पन होने वाली आग एक पक्ष को राख किए बिना कभी शांत नहीं होती।
    ~ Maharshi Vedvyas
  • हित करने वाले लोगो को अपना समझो और अहित करने वाले लोगो को पराया|Upload to Facebook
    हित करने वाले लोगो को अपना समझो और अहित करने वाले लोगो को पराया|
    ~ Maharshi Vedvyas
  • इस दुनिया में न कोई किसी का दोस्त है और न कोई किसी का दुश्मन। स्वार्थ से ही दोस्त और दुश्मन एक-दूसरे से बंधे हुए हैं।
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    इस दुनिया में न कोई किसी का दोस्त है और न कोई किसी का दुश्मन। स्वार्थ से ही दोस्त और दुश्मन एक-दूसरे से बंधे हुए हैं।
    ~ Maharshi Vedvyas
  • शूरवीरता, विद्या, बल, दक्षता और धैर्य, ये पांच इन्सान के स्वाभाविक मित्र हैं। और एक बुद्धिमान इन्सान हमेशा इनके साथ रहता हैं।
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    शूरवीरता, विद्या, बल, दक्षता और धैर्य, ये पांच इन्सान के स्वाभाविक मित्र हैं। और एक बुद्धिमान इन्सान हमेशा इनके साथ रहता हैं।
    ~ Maharshi Vedvyas
  • निरोग रहना, कर्ज न होना, अच्छे-अच्छे लोगों से मेल-जोल रखना, अपनी आमदनी से जीविका चलाना और निभर्य होकर रहना यही इन्सान के सुख हैं।Upload to Facebook
    निरोग रहना, कर्ज न होना, अच्छे-अच्छे लोगों से मेल-जोल रखना, अपनी आमदनी से जीविका चलाना और निभर्य होकर रहना यही इन्सान के सुख हैं।
    ~ Maharshi Vedvyas
  • शूरवीरता, विद्या, बल, दक्षता और धैर्य, ये पांच इन्सान के स्वाभाविक मित्र हैं। और एक बुद्धिमान इन्सान हमेशा इनके साथ रहता हैं।
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    शूरवीरता, विद्या, बल, दक्षता और धैर्य, ये पांच इन्सान के स्वाभाविक मित्र हैं। और एक बुद्धिमान इन्सान हमेशा इनके साथ रहता हैं।
    ~ Maharshi Vedvyas
  • शरीर का दुःख तभी मिटता है, जब मन का दुःख मिटता है |Upload to Facebook
    शरीर का दुःख तभी मिटता है, जब मन का दुःख मिटता है |
    ~ Maharshi Vedvyas
  • दुश्मनी की वजह से उत्पन होने वाली आग एक पक्ष को राख किए बिना कभी शांत नहीं होती।Upload to Facebook
    दुश्मनी की वजह से उत्पन होने वाली आग एक पक्ष को राख किए बिना कभी शांत नहीं होती।
    ~ Maharshi Vedvyas
  • इस दुनिया में न कोई किसी का दोस्त है और न कोई किसी का दुश्मन। स्वार्थ से ही दोस्त और दुश्मन एक-दूसरे से बंधे हुए हैं।Upload to Facebook
    इस दुनिया में न कोई किसी का दोस्त है और न कोई किसी का दुश्मन। स्वार्थ से ही दोस्त और दुश्मन एक-दूसरे से बंधे हुए हैं।
    ~ Maharshi Vedvyas
  • वह राजा इस लोक में और परलोक में दोनों जगह सुख पाता, जिस राजा को देशवासियों को प्रसन्न रखने की कला आती है|
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    वह राजा इस लोक में और परलोक में दोनों जगह सुख पाता, जिस राजा को देशवासियों को प्रसन्न रखने की कला आती है|
    ~ Maharshi Vedvyas