जो सफर की शुरुआत करते हैं; वो मंज़िल को पार करते हैं; एक बार चलने का हौंसला रखो; मुसाफिरों का तो रास्ते भी इंतज़ार करते हैं। |
तारों में अकेला चाँद जगमगाता है; मुश्किलों में अकेला इंसान डगमगाता है; काँटों से मत घबराना मेरे दोस्त; क्योंकि काँटों में ही तो एक गुलाब मुस्कुराता है। |
हर दर्द की एक पहचान होती है; ख़ुशी चंद लम्हों की मेहमान होती है; वही बदलते हैं रुख हवाओं का; जिनके इरादों में जान होती है। |
अपने ग़मों की तू नुमाईश न कर; अपने नसीब की यूँ आज़माईश न कर; जो तेरा है वो खुद तेरे दर पर चल कर आएगा; रोज़ उसे पाने की ख्वाहिश न कर। |
आँधियों को ज़िद्द है जहाँ बिजलियाँ गिराने की; मुझे भी ज़िद्द है वही आशियाँ बसाने की; हिम्मत और हौंसले बुलंद हैं, खड़ा हूँ अभी गिरा नहीं हूँ; अभी जंग बाकी है और मैं भी अभी हारा नहीं हूँ। |
परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ानों की; वो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की; रखते हैं जो हौसला आसमानों को छूने का; उनको नहीं होती परवाह गिर जाने की। |
रख हौंसला मंज़र भी आएगा; प्यासे के पास चल के समंदर भी आएगा; थक कर न बैठ ए मंज़िल के मुसाफिर; मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा। |
जो हो गया उसे सोचा नहीं करते; जो मिल गया उसे खोया नहीं करते; होती है हासिल मंज़िल उन्हें; जो वक़्त और हालात पर रोया नहीं करते। |
ख़्वाहिशों से नहीं गिरते महज़ फूल झोली मे; कर्म की शाख को हिलाना होगा; न होगा कुछ कोसने से अंधेरे को; अपने हिस्से का दिया खुद ही जलाना होगा। |
न संघर्ष न तकलीफ, तो क्या मज़ा है जीने में; बड़े-बड़े तूफ़ान थम जाते हैं जब आग लगी हो सीने में। |