मंज़िल मिल ही जाएगी एक दिन भटकते भटकते ही सही; गुमराह तो वो हैं जो डर के घर से निकलते ही नहीं; खुशियां मिल जायेंगी एक दिन रोते रोते ही सही; कमज़ोर दिल तो वो हैं जो हँसने की कभी सोचते ही नहीं। |
कोई साथ दे ना दे, चलना तू सीख ले; हर आग से हो जा वाकिफ जलना तू सीख ले; कोई रोक नहीं पायेगा बढ़ने से तुझे मंज़िल की तरफ; हर मुश्किल का सामना करना तू बस सीख ले। |
पहाड़ चढ़ने का एक असूल है, झुक कर चढ़ो, ज़िंदगी भी बस इतना ही मांगती है, अगर झुक कर चलोगे तो ऊंचाई तक पहुँच जाओगे। |
शाम सूरज को ढलना सिखाती है; शमा परवाने को जलना सिखाती है; गिरने वालो को तकलीफ़ तो होती है; पर ठोकर ही इंसान को चलना सिखाती है। |
मुश्किलें ही हमारे इरादे आज़माती हैं; ख्वाबों के परदे निगाहों से हटाती हैं; हौंसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर; ठोकरें ही तो इंसान को चलना सिखाती हैं। |
मुश्किलों से भाग जाना आसान होता है; ज़िंदगी में हर मोड़ पर एक इम्तिहान होता है; डरने वालों को मिलता नहीं ज़िंदगी में कुछ भी; लड़ने वालों के क़दमों में सारा जहान होता है। |
ऐसा नहीं होगा कि रास्तों में रहमत नहीं होगी; पैरों के तेरे चलने की आदत नहीं होगी; अगर है कश्ती तो ना होगा किनारा कभी दूर; तेरे इरादों में अगर जीतने की चाहत बची होगी। |
जो देख कर मुश्किलों को सामने घबराते नहीं; रखते हैं भरोसा खुद पर हर काम के लिए रब के पास जाते नहीं; होते हैं वही कामयाब ज़िंदगी के इस इम्तिहान में; जो करते हैं हर मुश्किल का सामना और थक कर बैठ जाते नहीं। |
कोशिशों के बाद भी अगर कभी हो जाये हार; होकर निराश ना बैठना मन को अपने मार; बढ़ते रहना आगे सदा जैसा भी आ जाये समय; क्योंकि पा लेती हैं मंज़िल चींटी भी गिर कर बार-बार। |
हर कामयाबी पे तुम्हारा नाम होगा; तुम्हारे हर कदम पे दुनिया का सलाम होगा; डट कर करना सामना तुम मुश्किलों का; एक दिन वक़्त भी तुम्हारा गुलाम होगा। |