ग़ालिब ने भी क्या खूब कहा है "सपना" को देखकर सपने मे "स्वपनदोष" हो गया, "सपना" भी बच गई और "संतोष" भी हो गया। |
हम वो आशिक हैं जो सुबह को शाम बना देते हैं, छोटी छोटी मौसमबियों को आम बना देते हैं, हम से पंगा न ले छोरी, हम तो वो हैं जो छोटी सी दुकान का भी गोदाम बना देते हैं! |
चाईनीज मोहब्बत थी साहब, टूट कर बिखर गई, पर लण्ड हिन्दुस्तानी था, टाँका भिड़ा के दूसरी चोद ली! |
गम में भी हमको जीना आता है; सेक्स करके भी पसीना आता है; एक हम हैं कि तुम्हें अक्सर मैसेज करते हैं; एक तुम्हारा मैसेज है, जैसे औरतों को महीना आता है। |