तेज स्वर में की गई प्रार्थना, ईश्वर तक पहुंचे यह आवश्यक नहीं, किन्तु सच्चे मन से की गई प्रार्थना, जो भले ही मौन रह कर की गई हो; वह प्रार्थना ईश्वर तक अवश्य पहुंचती है। |
मनुष्य अपने विश्वास में निर्मित होता है; जैसा वह विश्वास करता है, वह वैसा बन जाता है! |
ईश्वर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज मत होना; क्योंकि; ईश्वर वह नहीं देता जो आपको अच्छा लगता है; बल्कि वह देता है जो आपके लिए अच्छा होता है। |
प्यार और विश्वास को हो सके तो कभी ना खोयें; क्योंकि प्यार हर किसी से होता नहीं; और; विश्वास हर किसी पे होता नहीं; ये दोनों ही जीवन के बहुमूल्य तथ्य हैं। |
है फिर भी सुकून कि 'तलाश' है; मालिक तेरा बंदा कितना 'उदास' है; क्यों खोजता है इंसान 'राहत'; जब कि दुनिया में सारे 'मसलों' का हल है तेरी 'अरदास' में! |
को काहू को मित्र नहीं, शत्रु काहू को नाय; अपने ही गुण दोष से, शत्रु मित्र बन जाय। |
बोली माहि कठोरता, प्रभु को नाहि सुहाय; सोई जीभ माही हड्डी, प्रभु ने दीन्ही नाय। |
हमने हर शाम चिरागों से सजा रखी है; मगर शर्त हवाओं से लगा रखी है; न जाने कौन सी राह से मेरे साईं आ जाएँ; हमने हर राह फूलों से सजा रखी है। |
मेरी औक़ात से बाहर मुझे कुछ ना देना मेरे मालिक; क्योंकि ज़रूरत से ज्यादा रोशनी भी इंसान को अंधा बना देती है। |
कर ऐसी इनायत अए साहिबा तेरा शुकर मनाना आ जाए; हम बन्दे हैं बन्दों की तरह हमें प्यार निभाना आ जाए। |