आध्यात्मिक Hindi SMS

  • तेज स्वर में की गई प्रार्थना, ईश्वर तक पहुंचे यह आवश्यक नहीं, किन्तु सच्चे मन से की गई प्रार्थना, जो भले ही मौन रह कर की गई हो; वह प्रार्थना ईश्वर तक अवश्य पहुंचती है।Upload to Facebook
    तेज स्वर में की गई प्रार्थना, ईश्वर तक पहुंचे यह आवश्यक नहीं, किन्तु सच्चे मन से की गई प्रार्थना, जो भले ही मौन रह कर की गई हो; वह प्रार्थना ईश्वर तक अवश्य पहुंचती है।
  • मनुष्य अपने विश्वास में निर्मित होता है;<br/>
जैसा वह विश्वास करता है, वह वैसा बन जाता है!Upload to Facebook
    मनुष्य अपने विश्वास में निर्मित होता है;
    जैसा वह विश्वास करता है, वह वैसा बन जाता है!
  • ईश्वर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज मत होना;<br/>
क्योंकि;<br/>
ईश्वर वह नहीं देता जो आपको अच्छा लगता है;<br/>
बल्कि वह देता है जो आपके लिए अच्छा होता है।Upload to Facebook
    ईश्वर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज मत होना;
    क्योंकि;
    ईश्वर वह नहीं देता जो आपको अच्छा लगता है;
    बल्कि वह देता है जो आपके लिए अच्छा होता है।
  • प्यार और विश्वास को हो सके तो कभी ना खोयें;<br/>
क्योंकि प्यार हर किसी से होता नहीं;<br/>
और;<br/>
विश्वास हर किसी पे होता नहीं;<br/>
ये दोनों ही जीवन के बहुमूल्य तथ्य हैं।  Upload to Facebook
    प्यार और विश्वास को हो सके तो कभी ना खोयें;
    क्योंकि प्यार हर किसी से होता नहीं;
    और;
    विश्वास हर किसी पे होता नहीं;
    ये दोनों ही जीवन के बहुमूल्य तथ्य हैं।
  • है फिर भी सुकून कि 'तलाश' है;<br/>
मालिक तेरा बंदा कितना 'उदास' है;<br/>
क्यों खोजता है इंसान 'राहत';<br/>
जब कि दुनिया में सारे 'मसलों' का हल है तेरी 'अरदास' में!Upload to Facebook
    है फिर भी सुकून कि 'तलाश' है;
    मालिक तेरा बंदा कितना 'उदास' है;
    क्यों खोजता है इंसान 'राहत';
    जब कि दुनिया में सारे 'मसलों' का हल है तेरी 'अरदास' में!
  • को काहू को मित्र नहीं, शत्रु काहू को नाय;<br/>
अपने ही गुण दोष से, शत्रु मित्र बन जाय।Upload to Facebook
    को काहू को मित्र नहीं, शत्रु काहू को नाय;
    अपने ही गुण दोष से, शत्रु मित्र बन जाय।
  • बोली माहि कठोरता, प्रभु को नाहि सुहाय;<br/>
सोई जीभ माही हड्डी, प्रभु ने दीन्ही नाय। Upload to Facebook
    बोली माहि कठोरता, प्रभु को नाहि सुहाय;
    सोई जीभ माही हड्डी, प्रभु ने दीन्ही नाय।
  • हमने हर शाम चिरागों से सजा रखी है;<br />
मगर शर्त हवाओं से लगा रखी है;<br />
न जाने कौन सी राह से मेरे साईं आ जाएँ;<br />
हमने हर राह फूलों से सजा रखी है।Upload to Facebook
    हमने हर शाम चिरागों से सजा रखी है;
    मगर शर्त हवाओं से लगा रखी है;
    न जाने कौन सी राह से मेरे साईं आ जाएँ;
    हमने हर राह फूलों से सजा रखी है।
  • मेरी औक़ात से बाहर मुझे कुछ ना देना मेरे मालिक;<br />
क्योंकि<br />
ज़रूरत से ज्यादा रोशनी भी इंसान को अंधा बना देती है।Upload to Facebook
    मेरी औक़ात से बाहर मुझे कुछ ना देना मेरे मालिक;
    क्योंकि
    ज़रूरत से ज्यादा रोशनी भी इंसान को अंधा बना देती है।
  • कर ऐसी इनायत अए साहिबा तेरा शुकर मनाना आ जाए;<br />
हम बन्दे हैं बन्दों की तरह हमें प्यार निभाना आ जाए।Upload to Facebook
    कर ऐसी इनायत अए साहिबा तेरा शुकर मनाना आ जाए;
    हम बन्दे हैं बन्दों की तरह हमें प्यार निभाना आ जाए।
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