दिल के ज़ख्मों को उनसे छुपाना पड़ा; पलक भीगी थी पर मुस्कुराना पड़ा; कैसे होते हैं यह मोहब्बत के रिवाज़; रूठना चाहते थे उनसे, पर उनको ही मनाना पड़ा। |
इस कदर हमारी चाहत का इम्तिहान मत लीजिये; क्यों हो खफा ये बयां तो कीजिये; कर दीजिये माफ़ अगर हो गयी है कोई खता; यूँ याद न आकर सज़ा तो न दीजिये। |
रूठना मत कभी हमें मनाना नहीं आता; दूर नहीं जाना हमें बुलाना नहीं आता; तुम भूल जाओ हमें यह तुम्हारी मर्ज़ी है; हम क्या करें हमें भुलाना नहीं आता। |
चाहो जो मेरी खताओं की सज़ा दो मुझको; पर खता क्या है, ज़रा इतना बता दो मुझको; माफ़ कर दो मुझे, मैंने चाहा है सिर्फ तुमको; इन वफाओं के सिले ऐसी वफ़ा दो मुझको। |
ऐसा भी क्या कसूर हम ने कर दिया; कि आपने इस तरह से हमें पराया कर दिया; माफ़ करना हमारी गलतियों को; जिनकी वजह से आप ने याद करना कम कर दिया। |
माफ़ करना अगर हमने अनजाने में आपको कभी रुला दिया; आप ने तो दुनियां के कहने पर हमें भुला दिया; हम तो वेसे भी अकेले थे; क्या हुआ अगर आपने एहसास दिला दिया! |
बहुत उदास है कोई शख्स तेरे जाने से, हो सके तो लौट आ किसी बहाने से; तू लाख खफा सही, एक बार तो देख, कोई टूट गया है तेरे रूठ जाने से। |
कोई अच्छी सी सज़ा दो या न दो मुझको; तुमसे रिश्ता टूटे उस दिन मौत आ जाए मुझको; हो सके तो दिल की गहराईयों से माफ़ करना मुझको! |
हमसे अगर गिला हो जाये तो माफ़ करना; याद ना कर पाये तो माफ़ करना; दिल से तो हम आपको कभी भूलते नहीं; पर यह दिल ही रुक जाये तो माफ़ करना। |
तुम हंसती हो मुझे हंसाने के लिए; तुम रोती हो मुझे रुलाने के लिए; तुम एक बार रूठकर तो देखो हमसे; मर जाऊंगा तुम्हें मनाने के लिए। |