लगता है नवंबर इसी कश्मकश में गुज़र जायेगा कि कोई अगला बंदा स्वेटर पहने तो मैं पहनूँ! |
बस और कुछ दिनों बाद ही... नहाने से पहले 10 मिनट बैठकर पानी को घूरने वाले दिन आ रहे हैं! |
रज़ाई के अंदर छुपकर "मोबाइल" चलाने वालो बधाई हो... "सर्दियाँ" आने वाली हैं! |
वैक्सीन का इंतज़ार करते करते, आखिरकार... . . . . . . 'वैसलीन' के दिन आ गए, लेकिन वैक्सीन नही आई! |
गुनगुना पानी पीते पीते; अब गुनगुने पानी से नहाने का टाइम आ गया! |
दो बूंद क्या बरसी, चार बादल क्या छा गए; किसी को जाम तो किसी को कुछ नाम याद आ गए! |
मॉनसून विशेष: पकौड़े निभाते हैं दोनों से वफ़ा; चाय वाले भी खुश, दारू वाले भी खुश! |
हमारे यहाँ बारिश सेंटीमीटर के बजाय, इससे नापी जाती है कि... . . . . . . . . . नाले का पानी सड़क पर बहा कि नहीं! |
हे भगवान! अब तो खुल के बारिश करवा दो! या हम अपने आप को बेसन लगा लें अगर आपने हमारे पकोड़ेबनाने का मन बना ही लिया है! |
गर्मी का आतंक देख कर उस आदमी को पीटने का मन कर रहा है जिसने कहा था... इस साल ठण्ड कम ज़्यादा पड़ी है तो गर्मी कम पड़ेगी! |