अजीब लगती है शाम कभी-कभी; ज़िंदगी लगती है बेजान कभी-कभी; समझ आये तो हमें भी बताना; कि क्यों करती हैं यादें परेशान कभी-कभी। |
एक आरज़ू सी है कि उन्हें भूल जाएँ हम; मगर उनकी यादों के आगे तो यह हसरत भी हार जाती है। |
मेरी आँखें तेरे दीदार को तरसती हैं; मेरी नस-नस तेरे प्यार तरसती है; तू ही बता कि तुझे बताऊँ कैसे; कि मेरी रूह तक तेरी याद में तड़पती है। |
अजीब लगती है शाम कभी-कभी; ज़िंदगी लगती है बेजान कभी-कभी; समझ आये तो मुझे भी बताना कि; क्यों करती हैं यादें परेशान कभी-कभी। |
साँस लेने से उसकी याद आती है; और ना लेने पे जान जाती है; कैसे कह दूँ की सिर्फ़ साँसों क सहारे जिंदा हूँ; कमब्खत साँस भी तो उसकी याद के बाद आती है। |
दिल की ख्वाहिश को नाम क्या दूँ; प्यार का उसे पैगाम क्या दूँ; इस दिल में दर्द नहीं यादें हैं उसकी; अब यादें ही मुझे दर्द दें तो उसे इलज़ाम क्या दूँ। |
साथ हमारा चाहे पल भर का सही; पर वो पल ऐसे जैसे कोई कल नहीं; न हो ज़िन्दगी में शायद फिर मिलना हमारा; पर महकती रहेंगी तुम्हारी यादें हमारे संग यूँ ही! |
वो याद आए भुलाते-भुलाते; दिल के ज़ख्म उभर आए छुपाते-छुपाते; सिखाया था जिसने गम में मुस्कुराना; उसी ने रुला दिया हँसाते-हँसाते। |
आँखों में रहने वालों को याद नहीं करते; दिल में रहने वालों की बात नहीं करते; हमारी तो रूह में बस गए हो आप; तभी तो आपसे मिलने की फ़रियाद नहीं करते। |
चाँद की जुदाई में आसमान भी तड़प गया; उसकी झलक पाने को हर सितारा तरस गया; बादल का दर्द क्या कहूं; चाँद की याद में वो तो हँसते-हँसते बरस गया। |