समस्या जिसकी होती है, समाधान भी उसी के पास होता है। |
बंता: तुम हर शनिवार को अपनी पत्नी से झगड़ा करते हो और हर सोमवार को उसे मना लेते हो, इससे क्या फायदा होता है? संता: ये एक छोटी बचत योजना है! जिससे रविवार को होने वाले फालतू खर्चे से मुक्ति मिल जाती है! |
दूसरे देश वाले हमारी 'टेक्नोलॉजी' का क्या मुकाबला करेंगे! यहाँ तो हम बादल देख कर ही बता देते हैं कि अब बस बिजली जाने वाली है! |
मैं साल भर से किसी बारात में नहीं गया! क्या कोई बता सकता है कि दहेज़ में अभी भी स्प्लेंडर मोटरसाइकिल ही मिल रही है या कोई नया मॉडल आया है अभी? |
जो मुझे ब्लॉक कर के चली गयी, उसके लिए मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि... . . . . . . . एक बंदरिया के चले जाने से वृंदावन सूना नहीं होता! |
लॉकडाउन हट गया, मार्केट तो खुल गया; मगर जाकर करेंगे क्या पैसे तो है नहीं! |
खाना खाते समय पति, पत्नी से: ये क्या खाने में दो रुपये के चार सिक्के निकले हैं! पत्नी: पिछले कुछ दिनों से आप ही तो कह रहे थे कि खाने में कुछ 'Change' चाहिए! |
कभी-कभी ऐसा लगता है कि लड़के सरकारी नौकरी अपनी संतुष्टि के लिए नहीं लड़की के बाप को खुश करने के लिए कर रहा हूँ! |
पहले उलझते थे हर बात पर, अब ख़ामोशी से हार मान लेते हैं; कुछ हादसों ने हमें समझदार बना दिया! |
आज का ज्ञान: अगर होटल में खाना खाने के बाद आपका दोस्त फोन पर बिजी हो जाये तो समझ लें कि... . . . . . बिल आपको देना है! |