ज़ुबानी इबादत ही काफी नहीं; ख़ुदा सुन रहा है ख्यालात भी! |
उम्मीदें कभी मत छोड़ना, कमज़ोर तुम्हारा वक़्त है रब नहीं! |
लगभग 50 लाख ज्योतिषी हैं भारत में लेकिन किसी ने नहीं बताया कि... कोरोना फैलने वाला है! कसम से अब तो हर चीज़ से विश्वास ही उठ गया है! |
खामोशी एक बेहतरीन ख़ज़ाना हैं, लेकिन प्रॉब्लम ये हैं कि हम ख़ज़ाना संभाल नहीं सकते... इसलिए बकवास शुरू कर देते हैं! |
जिंदगी में कोई भी निर्णय जल्दी से ना लें... याद रखें, आपको जिंदगी बनानी है, मैगी नहीं। |
बापू: देख बेटा मै तेरै खातर नए जूते ल्याया हूँ! छोरा: थैंक्यू पापा, पर इनका साइज तो बड़ा है! बापू: हाँ... पहनूँगा तो मैं, तन्ने तो खाणे हैं बस! |
गलती पीठ की तरह होती है! खुद के सिवाए बाकी सब की दिखती है! |
माता-पिता की जितनी ज़रुरत हमें बचपन में होती है; उतनी ही ज़रूरत उन्हें बुढ़ापे में हमारी होती है! |
क्रोध और आँधी दोनों एक समान हैं! शांत होने के बाद ही पता चलता है कि कितना नुकसान हुआ है! |
नौकरी और चाकरी पहले एक कमाता था नौ खाते थे इसलिए 'नौ करी' कहते थे! बाद में एक कमाता था चार खा लेते थे! इसलिए उसे 'चा करी' कहते थे! इसके बाद जितना वेतन मिलता था वो खुद के तन के लिये ही पूरा पड़ता था इसलिए उसे 'वे तन' कहते हैं! और आज कल के लड़के-लड़कियां सिर्फ सेल फोन लेने के लिये ही जॉब करते हैं! इसलिए उसे 'सेल री' कहते हैं! |