वकीलों के प्रति दिल में इज़्ज़त तब और बढ़ गयी जब आज कोर्ट में उन्हें बहस करते देखा! बिना गाली दिए बहस कर कैसे लेते हैं यार! |
परसों तो हद हो गयी, एक पुराने परिचित बहुत दिनों के बाद मिले, हालचाल पूछने के बाद बोले... . . . . . . . . और कहीं नौकरी लगी या अभी भी वकील ही हो। |
मुजरिम: कोशिश करना कि उम्र कैद हो जाये, मौत की सज़ा ना मिले। वकील: तुम फ़िक्र मत करो, फैंसला तुम्हारे हक़ में ही होगा। मुक़दमे के बाद: मुजरिम: क्या हुआ? वकील: बहुत मुश्किल से उम्र कैद करवाई है, वरना वो तो तुम्हें रिहा कर रहे थे। |