आस्था से पहाड़ों को भी हिलाया जा सकता है बस आपको इनको धकेलकना पड़ता है जब आप प्रार्थना कर रहे हों। |
जब आप यह फैसला ना कर सकें कि क्या करना है तो यह एक झपकी लेने का समय होता है। |
आस्था पहाड़ों को भी हिला सकती है बस आपको धक्का देने की ज़रूरत है जब आप प्रार्थना कर रहे हों। |