अपनी पीड़ा सह लेना और दूसरे जीवों को पीड़ा न पहुंचाना, यही तपस्या का स्वरूप है। |
धन अधिक होने पर नम्रता धारण करो, वह जरा कम पड़ने पर अपना सिर ऊंचा बनाए रखो। |
धन अधिक होने पर नम्रता धारण करो, और कम पड़ने पर भी अपना सिर ऊंचा बनाए रखो। |
जब घर में अतिथि हो तब चाहे अमृत ही क्यों न हो, अकेले नहीं पीना चाहिए। |
जो आदमी नशे में मदहोश है उसकी सूरत उसकी माँ को भी बुरी लगती है। |
उत्साह मनुष्य की भाग्यशीलता का पैमाना है। |