जो व्यक्ति निरंतर शोक करते रहते हैं, उन्हें जीवन में कभी सुख नहीं मिलता। |
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। |
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से बढ़कर है। |
जैसे पके हुए फलों को गिरने के सिवा कोई भय नहीं वैसे ही पैदा हुए मनुष्य को मृत्यु के सिवा कोई भय नहीं। |
जो उपकार करे, उसका प्रत्युपकार करना चाहिए, यही सनातन धर्म है। |
जो व्यक्ति निरंतर शोक करते रहते हैं, उन्हें जीवन में कभी सुख नहीं मिलता। |
जैसे पके हुए फलों को गिरने के सिवा कोई भय नहीं वैसे ही पैदा हुए मनुष्य को मृत्यु के सिवा कोई भय नहीं। |
पिता की सेवा करना जिस प्रकार कल्याणकारी माना गया है वैसा प्रबल साधन न सत्य है, न दान है और न यज्ञ हैं। |
हताश न होना सफलता का मूल है और यही परम सुख है, उत्साह मनुष्य को कर्मो में प्रेरित करता है और उत्साह ही कर्म को सफल बनता है। |