प्रत्येक लिखी हुई बात को प्रत्येक पढ़ने वाला नहीं समझ सकता! क्योंकि लिखने वाला भावनाएं लिखता है और लोग केवल शब्द पढ़ते हैं! |
आपके पास बैंक बैलेंस और राशन हैं तो कोरोना का डर है अगर दोनों खत्म हैं तो कोरोना का डर भी खत्म है! |
मास्क तो केवल एक प्रतीक है! हकीकत तो ये है कि पूरा मानव समाज प्रकृति को मुँह दिखाने लायक नहीं रहा! |
मरहम जैसे होते हैं कुछ लोग, शब्द बोलते ही हर दर्द गायब हो जाता है! |
दुनिया में बोली जानेवाली सबसे मीठी भाषा "मतलब" की भाषा है! |
किसी ने पूछा कैसे हो! मैंने कहा, "मैं तो शुरू से ऐसा ही हूँ! बस बाक़ी निर्भर आपकी ज़रूरत पर है कि आपको मुझसे काम है या नहीं!" |
कहने के लिए तो पिछले 50 दिन से कोई रोड पर नहीं आया लेकिन हकीकत ये है कि कई लोग रोड पर आ गये हैं! |
समय कितना बदल गया है! पहले बैंक/एटीएम के बाहर लिखा होता था, "चेहरा ढक कर प्रवेश ना करें।" अब लिखा होता है, "बिना मास्क के प्रवेश ना करें!" |
रास्ते हैं खुले हुए सारे, फिर भी ये ज़िंदगी रुकी हुई है। |
गुनाह तो कुछ घिनोने हुए हैं कायनात से; वरना गंगाजल के बजाय शराब से हाथ न धोने पड़ते! |