सूरज ने झपकी पलक और ढल गयी शाम; रात ने है आँचल बिखेरा मिलकर तारों के साथ; देख कर रात का यह नज़ारा कहने को शुभ रात्रि हम भी आ गए हैं साथ। शुभ रात्रि! |
शाम के बाद जब आती है रात; हर बात में समा जाती है तेरी याद; होती बहुत ही तनहा ये जिंदगी; अगर न मिलता कभी जो आपका साथ। शुभ रात्रि! |
दिल में, होंठों पे बस एक ही दुआ रहती है; हर घडी मुझे आप की ही परवाह रहती है; खुदा हर ख़ुशी बख्शे आपको; हर दुआ में यही गुज़ारिश रहती है। शुभ रात्रि! |
ख्वाहिशों के समंदर के सब मोती तेरे नसीब हो; तेरे चाहने वाले हमसफ़र तेरे हरदम करीब हों; कुछ यूँ उतरे तेरे लिए रहमतों का मौसम; कि तेरी हर दुआ, हर ख्वाहिश कबूल हो। शुभ रात्रि! |
ज़िन्दगी में ना ज़ाने कौनसी बात आखिरी होगी; ना ज़ाने कौन सी रात आखिरी होगी; मिलते, जुलते, बातें करते रहो एक दूसरे से; ना जाने कौन सी मुलाक़ात आखिरी होगी। शुभ रात्रि! |
सपनो की दुनिया में हम खोते चले गए; होश में थे मगर मदहोश होते चले गए; जाने क्या बात थी उनकी आवाज़ में; न चाहते हुए भी उनके होते चले गए। शुभ रात्रि! |
जीवन के हर मोड़ पर खुशियों को आने दो; जुबां पर हर वक्त मिठास को रहने दो; ना रहो उदास और ना किसी को रहनो दो। शुभ रात्रि! |
जो ख़ुशी करीब हो वो सदा तुम्हें नसीब हो; ज़िंदगी का हर लम्हा सदा तेरे लिए हसीन हो; जो तुझ को पसंद हो तुम्हारे दिल की उमंग हो; चाहे जिस हमसफ़र को तेरी ज़िंदगी वो सदा तेरे संग हो। शुभ रात्रि! |
फूल खिलते रहे ज़िंदगी की राह में; हँसी चमकती रहे आपकी निगाह में; कदम-कदम पे मिले ख़ुशी की बहार आपको; यही दिल देता है दुआ बार-बार आपको। शुभ रात्रि! |
हो गयी है रात निकल आये हैं सितारे; सो गए हैं पंछी, शांत हैं सब नज़ारे; सो जाइए आप भी इस महकती रात में; देख रहें हैं राह आपकी सपने प्यारे-प्यारे। शुभ रात्रि! |