ज़िंदगी जब भी रुलाये तो; इतना मुस्कुराओ कि दर्द भी शर्माने लगे; निकले ना आंसू आँखों से कभी; किस्मत भी मज़बूर होकर आपको हँसाने लगे। |
हालात के कदमों पर सिकंदर नहीं झुकता; टूटे भी तर तो ज़मीन पर नहीं गिरता; गिरती है बड़े शौंक से समंदर में नदियां; कभी किसी नदी में समंदर नहीं गिरता। |
बुझी शमा भी जल सकती है; तूफानों से कश्ती भी निकल सकती है; होकर मायूस ना यूँ अपने इरादे बदल; तेरी किस्मत कभी भी खुल सकती है। |
गुज़री हुई ज़िंदगी को कभी याद ना कर; तक़दीर में जो लिखा है उसकी फरियाद ना कर; जो होना है वो होकर ही रहेगा; तू कल की फ़िक्र में अपनी आज की ख़ुशी बर्बाद ना कर। |
कोशिशों के बाद भी अगर हो जाती है कभी हार; होकर निराश मत बैठना, मन को अपने मार; बढ़ते रहना आगे सदा हो जैसा भी ये मौसम; पा लेती है मंज़िल चींटी भी गिर-गिर कर हर बार। |
रेहमत खुदा की तेरी चौखट पे बरसती नज़र आये; हर लम्हा तेरी तक़दीर संवरती नज़र आये; बिन मांगे तुझे मिले तू जो चाहे; कर कुछ ऐसा काम कि दुआ खुद तेरे हाथों को तरसती नज़र आये। |
कह दो मुश्किलों से थोड़ा और कठिन हो जायें; कह दो चुनौतियों से थोड़ा और कठिन हो जायें; नापना चाहते हो अगर हमारी हिम्मत को तो; कह दो आसमान से थोड़ा और ऊपर हो जाये। |
ज़िंदगी बड़ी अजीब होती है; कभी हार तो कभी जीत होती है; तमन्ना रखो समंदर की गहराई को छूने की; किनारों पर तो सिर्फ शुरुआत होती है। |
हर पल पे तेरा ही नाम होगा: तेरे हर कदम पे दुनिया का सलाम होगा; मुश्किलों का सामना हिम्मत से करना; देखना एक दिन वक़्त भी तेरा ग़ुलाम होगा। |
मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं; ख्वाबों के परदे निगाहों से हटाती हैं; हौंसला मत हार गिर कर ओ मुसाफिर; ठोकरें ही तो इंसान को चलना सिखाती हैं। |